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नोएडा में ‘बोट-वैली’इकाई शुरू… हर साल 50 हजार रोबोट बनाने का लक्ष्य - Prakhar Prahari
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नोएडा में ‘बोट-वैली’इकाई शुरू… हर साल 50 हजार रोबोट बनाने का लक्ष्य

नई दिल्ली . चिकित्सा, रक्षा, अंतरिक्ष, घरेलू कामों और मनोरंजन क्षेत्र में भी रोबोट का इस्तेमाल हो रहा है। इस बढ़ती मांग को देखते हुए भारत में सबसे बड़ी ऑटोमेशन एवं रोबोटिक्स कंपनियों में से एक एडवर्ब टेक्नोलॉजीज ने ‘पायनियर ह्यूमेन-रोबोट कॉलेबरेशन टू टच ह्यूमेन लाइव्स’विजन के साथ नोएडा में ‘बोट-वैली’ नाम से अपनी विश्वस्तरीय निर्माण इकाई का उद्घाटन किया है। इस पर कंपनी ने 75 करोड़ रुपए का निवेश किया है। कंपनी का कहना है कि दुनियाभर में रोबोट का जमकर इस्तेमाल हो रहा है। भारत में भी रोबोटिक इंजीनियारिंग फलफूल रही है। अत्याधुनिक मशीन ‘रोबोट’ कारखानों में तैयार होकर अब दुकानों और घरों तक पैठ बना रहे हैं। इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए मौजूदा समय में शिक्षा जगत में रोबोटिक इजीनियरिंग को रोजगार की गारंटी माना जा रहा है।

इस संयंत्र की स्थापना के साथ एडवर्ब ने भारत में रोबोटिक्स इंडस्ट्री के लिए एक सेल्फ-सस्टेनिंग इकोसिस्टम तैयार करने की योजना बनाई है जो नए उत्पादों और प्रौद्योगिकी सॉल्युशनों का दुनियाभर में निर्यात कर सके। नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी अमिताभ कांत ने इस संयंत्र का उद्घाटन किया। लगभग 2.5 एकड़ भूमि में फैले इस संयंत्र की क्षमता हर साल विभिन्न तरह के 50,000 से ज्यादा रोबोट निर्माण करने की है। कंपनी का दावा है कि इस फैक्ट्री में करीब 450 लोगों को रोजगार मिलेगा। कंपनी ने अपने एक बयान में कहा है कि इसमें महिला और पुरुषों को समान अवसर दिया जाएगा। किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा।

बता दें कि एडवर्ब की स्थापना 2016 में हुई थी और महज चार सालों में कंपनी की पहुंच भारत के अलावा यूरोप, दक्षिण-पूर्व एशिया और आस्ट्रेलिया तक हो गई है। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा, एडवर्ब टेक्नोलॉजी बढ़ती जरूरतों और मौजूदा व्यावसायिक मांग को पूरा करने में मदद करेगी। एडवर्ब के संस्थापक और सीईओ संगीत कुमार ने कहा कि स्वचालन की बढ़ती मांग के बाद भी, भारत में वैश्विक औसत के मुकाबले खासकर छोटे और मझोले उद्यमों में रोबोटिक्स की पैठ कमजोर बनी हुई है। यह नया संयंत्र वैश्विक मोर्चे पर भारत की ताकत को प्रदर्शित करेगा और देश के संपूर्ण रोबोटिक्स तंत्र को मजबूत बनाएगा।

यह किसी से छिपा हुआ नहीं है कि कार, रेल या किसी अन्य मशीन की तरह रोबोट सिर्फ एक मशीन नहीं, बल्कि ये वैज्ञानिकों की या रोबोटिक इंजीनियर्स की क्रिएटिविटी का कमाल हैं। आजकल रोबोट को ख़ूबसूरत बनाने के लिए जी-तोड़ मेहनत की जा रही है। जिस तरह अन्य मशीनों के डिज़ाइन में बदलाव करने से उनकी बिक्री बढ़ जाती है, उसी तरह रोबोट की बिक्री भी तभी बढ़ेगी जब उसके डिज़ाइन में बदलाव लाकर उसे और दिलकश बनाया जाएगा। आप ड्रोन की ही मिसाल लीजिए। इसे मिलिट्री में निगरानी के लिए ख़ूब इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अब इसका इस्तेमाल शादी-ब्याह में फोटोग्राफ़ी के लिए भी होने लगा है। वैसे भी ड्रोन का आकार किसी कीड़े के जैसा होता है। ये खालिस मेटल से बना होता है। अगर इसे ज़्यादा साज-सज्जा और रंग बिरंगे रंगों से तैयार किया जाए तो हो सकता है ये लोगों को ज़्यादा पसंद आए। कंपनी इन सारी बातों को ध्यान में रखकर आगे बढ़ रही है।

Delhi Desk

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