संवाददाताः कपिल भारद्वाज

चंडीगढ़ः पंजाब विधानसभा के चुनाव 2022 में होगा, लेकिन राजनीतिक पार्टियों ने इस सियासी समर के लिए अभी से ही बिसात बिछाने शुरू कर दिए है। इसी कड़ी में राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को अपना प्रधान सलाहकार बनाया है। राज्य सरकार ने प्रशांत किशोर को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया है, लेकिन राज्य सरकार उन्हें सैलरी के तौर पर प्रति माह महज एक रुपया देगी। प्रशांत 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रणनीति तैयार करने में मदद करेंगे।

कैप्टन सिंह ने सोमवार को कहा कि हम पंजाब के लोगों की भलाई के लिए एक साथ काम करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने पार्टी की प्रमुख सोनिया गांधी के साथ इस मुद्दे पर बात की थी और उन पर ही फैसला छोड़ दिया था। आपको बता दें कि प्रशांत किशोर ने 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।

आइए एक नजर डालते हैं प्रशांत किशोर के सफर परः

  • बिहार निवासी प्रशांत किशोर संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य कर्मचारी रहे। प्रशांत 2011 में भारत लौटे और राजनीतिक पार्टियों के इलेक्शन कैम्पेन की जिम्मेदीर संभालने लगे।
  • सबसे पहले प्रशांत बीजेपी के साथ जुड़े और नरेंद्र मोदी के साथ गुजरात में कैम्पेन का जिम्मा संभाला। प्रशांत ने 2012 में नरेंद्र मोदी को गुजरात का सीएम (CM) बनाने की जिम्मेदारी संभाली तथा सीएम हाउस में रहने लगे।
  • प्रशांत ने 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के कैम्पेन के रणनीतिकार बने। माना जाता है कि 2014 में केंद्र में पूर्ण बहुमत के साथ बीजेपी की सरकार बनवाने में उनकी अहम भूमिका रही।
  • इसके बाद प्रशांत ने बिहार की राजनीति की ओर रूख किया और नीतीश और लालू के साथ मिलकर महागठबंधन की सरकार बनवाने में सफल रहे।
  • प्रशांत की टीम ने आंध्रप्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस के लिए काम किया और एन.चंद्रबाबू नायडू जैसे राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी को मात देकर वाईएस जगनमोहन रेड्डी को मुख्यमंत्री बनवाने में सफल रहे।

ऐसी बात नहीं है कि प्रशांत के हाथ सिर्फ सफलताएं ही लगी है, उन्हें हार का भी मुंह देखना पड़ा है। आइए एक नजर डालते हैं उनकी विफलताओं परः

  • प्रशांत किशोर ने 2017 में यूपी में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ दिया, लेकिन कांग्रेस को बुरी तरह हार मिली। 2017 में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था। चुनाव नतीजे आने के बाद प्रशांत ने हार ठिकरा समाजवादी पार्टी पर फोड़ दिया और कहा कि समाजवादी पार्टी के गठबंधन के कारण कांग्रेस को पराजय का सामना करना पड़ा।
  • प्रशांत बिहार चुनाव में जेडीयू (JDU) की बेहतरीन नीतीश कुमार के साथ जुड़े। नीतीश ने प्रशांत को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन कुछ समय बाद दोनों के रिश्तों में खटास आ गई और एक दिन अचानक प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राजनीतिक पार्टी बनाने के संकेत दिए।
  • प्रशांत ने 10 साल बिहार को देश के अग्रणी राज्य में ले जाने वाला प्लान लेकर आए हैं। इसके तहत अगले 100 दिनों तक प्रदेश के चप्पे-चप्पे में मौजूद बिहार का विकास चाहने वालों को जोड़ने का ऐलान किया, लेकिन महज 30 दिन में ही प्रशांत राजनीति निष्क्रिय हो गए।

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