मुंबई. थर्ड हैंड स्मोकिंग के खतरे में आप हो सकते हैं, क्योंकि सिगरेट पीने के घंटों बाद भी वातावरण और सिगरेट के अवशेषों में 250 से ज्यादा घातक रसायन होते हैं। आम तौर पर सिगरेट पीने वाले और धुएं के सीधे संपर्क में आने वाले लोगों को धूम्रपान के दुष्प्रभाव का सामना करने वालों की श्रेणी मंत रखा जाता है, लेकिन अब नुकसान का यह दायरा बढ़ गया है। इसमें एक तीसरी कड़ी जुड़ गई है और यह तीसरी श्रेणी है, ‘थर्ड हैंड स्मोकर्स’ की।
थर्ड हैंड स्मोकिंग दरअसल सिगरेट के अवशेष हैं, जैसे बची राख, सिगरेट बट, और जिस जगह तंबाकू सेवन किया गया है, वहां के वातावरण में उपस्थित धुएं के रसायन। बंद कार, घर, आफिस का कमरा और वहां मौजूद फर्नीचर, आदि धूम्रपान के थर्ड हैंड स्मोकिंग एरिया बन जाते हैं।
सिगरेट पीते हुए उसकी राख को एशट्रे में झाड़ना, खत्म होने पर सिगरेट के बट को एशट्रे में कुचल देना या बच्चों के आसपास सिगरेट न पीना दरअसल सिगरेट के नुकसान को कुछ हद तक ही कम कर पाते हैं, पूरी तरह नहीं क्योंकि राख के कण, अधबुझी सिगरेट और धुएं का असर बहुत लंबे वक्त तक वातावरण को प्रभावित करते हैं। एक मोटे अनुमान के अनुसार 90 प्रतिशत फेफड़े के कैंसर, 30 प्रतिशत अन्य प्रकार के कैंसर, 80 प्रतिशत ब्रोंकाइटिस, इन्फिसिमा एवं 20 से 25 प्रतिशत घातक हृदय रोगों का कारण धूम्रपान है।
भारत में जितनी तेज़ी से धूम्रपान के रूप में तंबाकू का सेवन किया जा रहा है उससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि हर साल तंबाकू सेवन के कारण कितनी जान खतरे में हैं। तंबाकू पीने का जितना नुकसान है उससे कहीं ज़्यादा नुकसान इसे चबाने से होता है। तंबाकू में कार्बन मोनोऑक्साइड, और टार जैसे जहरीले पदार्थ पाये जाते हैं और यह सभी पदार्थ जानलेवा हैं।