4000 हजार साल से भी पहले से शहद करता रहा है सेहत में मदद

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मुंबई. शहद या मधु हमेशा से रसोई में इस्तेमाल होने वाला एक स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ रहा है, साथ ही सदियों से एक महत्वपूर्ण औषधि के रूप में भी उसका इस्तेमाल होता है। दुनिया भर में हमारे पूर्वज शहद के कई लाभों से अच्छी तरह परिचित थे। एक औषधि के रूप में उसका इस्तेमाल सबसे पहले सुमेरी मिट्टी के टेबलेटों में पाया गया है जो करीब 4000 साल पुराने हैं। लगभग 30 फीसदी सुमेरी चिकित्सा में शहद का इस्तेमाल होता था। भारत में शहद सिद्ध और आयुर्वेद चिकित्सा का एक महत्वपूर्ण अंग है जो चिकित्सा की पारंपरिक पद्धतियां हैं। प्राचीन मिस्र में इसे त्वचा और आंखों की बीमारियों में इस्तेमाल किया जाता था और जख्मों तथा जलने के दागों पर प्राकृतिक बैंडेज के रूप में लगाया जाता था।

शहद शरीर पर अलग-अलग तरह से असर डालता है, जो इस पर निर्भर करता है कि आप उसका सेवन कैसे करते हैं-

-शहद को गुनगुने पानी में मिलाकर पिया जाए तो उसका खून में लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) की संख्या पर लाभदायक असर पड़ता है। लाल रक्त कोशिकाएं मुख्य रूप से शरीर के विभिन्न अंगों तक खून में ऑक्सीजन पहुंचाती हैं।

-शहद और गुनगुने पानी का मिश्रण खून में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाता है, जिससे एनीमिया या खून की कमी की स्थिति में लाभ होता है।

-शहद का नियमित सेवन सर्कुलेटरी सिस्टम और रक्त की केमिस्ट्री में संतुलन को पाने में न सिर्फ आपकी मदद करता है, बल्कि आपको ऊर्जावान और फुर्तीला भी बनाए रखता है।

-शहद कीमोथैरेपी के मरीजों में श्वेत रक्त कोशिकाओं (डब्ल्यूबीसी) की संख्या को कम होने से रोक सकता है। एक छोटे प्रयोग में कीमोथैरेपी के दौरान कम डब्ल्यूबीसी संख्या के जोखिम वाले 40 फीसदी मरीजों में उपचार के तौर पर दो चम्मच शहद पीने के बाद वह समस्या फिर से नहीं उभरी।

-शरीर पर सफेद चीनी के हानिकारक प्रभावों के बारे में बहुत कुछ कहा गया है। शहद उसका एक बढ़िया विकल्प है जो उतना ही मीठा है मगर उसका सेवन अहानिकर है। हालांकि शहद के रासायनिक तत्वों में भी सिंपल शुगर होती है मगर वह सफेद चीनी से काफी भिन्न होती है। उसमें करीब 30 फीसदी ग्लूकोज और 40 फीसदी फ्रक्टोज होता है यानि दो मोनोसेकाराइड या सिंपल शुगर और 20 फीसदी दूसरे कांप्लेक्स शुगर होते हैं।

-अगर आप सर्दी-जुकाम से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित हैं या आपको हर सुबह बंद नाक से जूझना पड़ता है, तो नीम, काली मिर्च, शहद और हल्दी का सेवन काफी फायदेमंद हो सकता है।

-शहद कब्ज, पेट फूलने और गैस में लाभकारी होता है क्योंकि यह एक हल्का लैक्सेटिव है। शहद में प्रोबायोटिक या सहायक बैक्टीरिया भी प्रचुर मात्रा में होते हैं जो पाचन में मदद करते हैं, प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाते हैं और एलर्जी को कम करते हैं। टेबल शुगर की जगह शहद का इस्तेमाल आंतों में फंगस से पैदा हुए माइकोटॉक्सिन के विषैले प्रभावों को कम करता है।

– शहद में एक तरह का पदार्थ मौजूद होता है, जो आपकी त्वचा के प्राकृतिक नमी के स्तर को संरक्षित करने में मदद करता है। ख़ुश्क त्वचा में नमी की कमी होती है, और शहद आपकी त्वचा में नमी को सील करता है और इसे नरम और कोमल बनाता है।

-शहद से एक्ज़ेमा और सोरियासिस जैसी कई तरह की त्वचा से जुड़ी दिक्कतें भी दूर होती हैं। आयुर्वेद में शहद का इस्तेमाल जलने, कटने, जख्म और जलन जैसे त्वचा से जुड़ी दिक्कतों के लिए किया जाता है।

-शहद में होते हैं एंटीबैक्टीरियल गुण: प्राकृतिक या ऑर्गैनिक शहद में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। इसे ज़ख्म पर लगाने से एक लेयर बन जाती है, जिससे इंफेक्शन बढ़ता नहीं है।

-शहद झुर्रियां दूर करने में भी मददगार साबित होता है। इसमें मौजूद एंटू-एजिंग गुण आपकी त्वचा को लंबे समय तक जवां रखते हैं। साथ ही ये त्वचा का pH संतुलन भी बनाए रखता है।

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