शबनम यह नाम में देश की उस महिला अपराधी का, जिसे फांसी की सजा मुकर्रर हुई है। यदि इसे फांसी के फंदे पर झूला दिया जाता है, तो शबनम का नाम इतिहास के पन्नों में आजादी के बाद देश में फांसी पर चढ़ने वाली पहली महिला के तौर पर दर्ज हो जाएगा, लेकिन शबनम की फांसी की सजा फिलहाल टल गई है। प्रेमी के साथ मिलकर अपने परिवार के साथ लोगों की हत्या करने वाली शबनम का डेथ वारंट मंगलवार को जारी नहीं हो सका।
शबनम के वकील ने उत्तर प्रदेश में अमरोहा की कोर्ट में बताया कि उसने तीन दिन पहले ही प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को दया याचिका भेजी है। इसलिए जब तक दया याचिका पर निर्णय नहीं हो जाता, तब तक डेथ वारंट जारी नहीं किया जा सकता है। इसके बाद कोर्ट ने डेथ वारंट जारी करने का फैसला टाल दिया। सरकारी वकील महावीर सिंह ने बताया कि अब दया याचिका पर फैसला आने के बाद ही डेथ वारंट पर निर्णय हो पाएगा।
मौजूदा सयम में शबनम उत्तर प्रदेश की रामपुर जेल में बंद है और उसने वकील के माध्यम से जेल अधीक्षक को दया याचिका के लिए आवेदन दिया था। उसकी याचिका राज्यपाल को भेज दी गई है। आपको बता दें कि राष्ट्रपति पहले ही शबनम की दया याचिका खारिज कर चुके हैं।
शबनम यूपी में अमरोहा के बाबनखेड़ी गांव की रहने वाली है और इसने 15 अप्रैल 2008 को प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पिता शौकत अली, मां हाशमी, भाई अनीस अहमद, उसकी पत्नी अंजुम, भतीजी राबिया और भाई राशिद के अलावा 10 महीने के भतीजे अर्श की हत्या कर दी थी। शबनम ने इन सभी को पहले दवा देकर बेहोश किया और इसके बाद अर्श को छोड़कर सभी को कुल्हाड़ी से काट दिया था। शबनम ने अर्श का गला दबाकर मौत की घाट उतार दिया था।
जांच में पता चला था कि शबनम गर्भवती थी, लेकिन परिवार वाले सलीम से उसकी शादी के लिए तैयार नहीं थे। इसी वजह से शबनम ने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर पूरे परिवार को मौत की नींद सुला दिया था।
शबनम ने 14 दिसंबर 2008 को जेल में ही बेटे को जन्म दिया था। उसका बेटा जेल में उसके साथ ही रहा था। 15 जुलाई 2015 में उसका बेटा जेल से बाहर आया, इसके बाद शबनम ने बेटे को उस्मान सैफी और उसकी पत्नी सौंप दिया था। उस्मान शबनम का कॉलेज फ्रेंड है, जो बुलंदशहर में पत्रकार है।