पकड़ में आई ड्रैगन की गर्दन तो कहा-हम भारत के साथ, ब्रिक्स पर भी मिलाया हाथ

0
218

नई दिल्ली. भारत-चीन सीमा पर लगभग साल भर तनाव बना रहा। एक तरफ कोरोना से, तो दूसरी तरफ चीन से, जंग दोनों ओर ही जारी रही, लेकिन भारत ने अपने आप को अडिग रखा। दोनों ही मोर्चों पर सफलता हासिल की। अब चीन और कोरोना कोरोना दोनों बैकफुट पर हैं। 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत ने चीन के प्रति अपने रवैये में ऐतिहासिक बदलाव लाते हुए उसे जबर्दस्त आर्थिक नुकसान पहुंचाया। कई चीनी कंपनियों को भारतीय परियोजनाओं से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। साथ ही, भारत सरकार ने चीन के सैकड़ों मशहूर मोबाइल ऐप्स को भी प्रतिबंधित कर दिया। इन वजहों से भारत-चीन के व्यापारिक रिश्ते निचले स्तर पर आ गए। यही कारण है कि भारत की सीमा पर हुई उसकी अंतरराष्ट्रीय बेइज्जती ने उसे अपना रवैया फौरी तौर पर बदलने को मजबूर किया है।

एक तरफ भारत का अटल इरादा तो दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में चीन की किरकिरी। ऐसे में ड्रैगन का मनोबल ही टूट गया। अमेरिका, फ्रांस, जापान के साथ भारत के क्वाड ने अपना दमखम दिखाया तो जो बाइडेन के नए अमेरिकी प्रशासन की भी चीन को लेकर सख्ती ने उसे (चीन को) कहीं का नहीं छोड़ा। रही सही कसर कोरोना काल में चीनी अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान ने पूरी कर दी। मंद पड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए चीन को हर हाल में भारत जैसे बड़े वैश्विक बाजार को वापस पाने की मजबूरी है। इन्हीं सब वजहों से चीन ने समझौते के तहत अपने सैनिकों को पूर्वी लद्दाख के संघर्ष वाले बिंदुओं से हटाने पर रजामंदी दी और तुरंत अपने वादे पर खरा भी उतर गया।

जवाब में भारत ने भी चीनी कंपनियों पर लगे प्रतिबंधों में ढील देने की शुरुआत कर दी। खबर है कि चीन की ओर से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के प्रस्तावों को मंजूरी का पिछले नौ महीनों से रुका हुआ सिलसिला दोबारा शुरू हो गया है। हालांकि अभी केवल छोटे मामले ही मंजूर हो रहे हैं। पिछले साल अप्रैल में एफडीआई के कानूनों में संशोधन करते हुए चीनी निवेश से जुड़े प्रस्तावों के लिए ऑटोमेटिक रूट के बजाय अप्रूवल रूट का प्रावधान कर दिया गया था। हाल के वर्षों में प्रत्यक्ष चीनी निवेश के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे थे। संभवतः चीन समझ चुका है कि भारत को आंख दिखाना किसी भी दृष्टि से उसके हित में नहीं है।

बता दें कि भारत को इस साल 2021 के लिए ब्रिक्स की अध्यक्षता मिली है। 19 फरवरी को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने नई दिल्ली स्थित सुषमा स्वराज भवन में BRICS 2021 की वेबसाइट लॉन्च की थी। ब्रिक्स पांच उभरती अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से बना समूह है। 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट (जीएफसी) के समय बने इस समूह का मुख्य लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय आर्थिक और वित्तीय मामलों पर सहयोग, नीति समन्वयन और राजनीतिक संवाद को बढ़ावा देना है। समूह का गठन 2009 में हुए पहले राष्ट्राध्यक्ष स्तरीय शिखर सम्मेलन के साथ हुआ था। इसके बाद हर साल वैश्विक महत्व के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए समूह की बैठक होती रही। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, “भारत के इस साल ब्रिक्स सम्मेलन का आयोजन का चीन समर्थन करता है। (चीन) भारत व अन्य ब्रिक्स देशों के साथ विभिन्न क्षेत्रों में संवाद और सहयोग बढ़ाना चाहता है। अर्थव्यवस्था, राजनीति और मानवता के ‘तीन पहियों वाली पहल’ को भी मजबूत करना चाहता है।”

सूत्रों के अनुसार, अगर अगले कुछ महीनों में कोविड काबू में रहा, तो चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी भारत आ सकते हैं। चीन ने कहा कि वह ब्रिक्स देशों के बीच एकजुटता और सहयोग को मजबूत करना चाहता है। साफ है कि चीन से आए विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) के बड़े प्रस्तावों की बारीकी से जांच परख होगी। इसके लिए एक कोऑर्डिनेशन कमिटी भी बनाई गई है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here