मुंबई. मुम्बई के मरीन ड्राइव स्थित होटल सी ग्रीन में दादरा नगर हवेली के सांसद मोहन डेलकर का शव मिला है। खुदकुशी की आशंका जताई जा रही है। पुलिस को उस कमरे से गुजराती में लिखा एक सुसाइड नोट भी मिला है। उनके शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि इस मौत की वजह क्या है। सुसाइड नोट में उल्लेखित तथ्यों का मजमून निकाला जा रहा है। डेलकर के परिवार में पत्नी कलाबेन डेलकर, दो बच्चे अभिनव और दिविता हैं।
काफी कम समय में डेलकर ऊंची राजनीतिक पारी खेल गए। डेलकर की उम्र 58 साल थी। वैसे देखा जाए तो राजनीतिक करियर की शुरुआत उन्होंने सिलवासा में ट्रेड यूनियन लीडर के तौर पर शुरू की थी। 1985 में आदिवासी विकास संगठन की स्थापना की। इसके बाद कभी पीछे कर नहीं देखा। कहते हैं, वे जहां भी जाते थे, पार्टियां उनके लिए खड़ी हो जाती थीं।
वे 1989 में पहली बार सांसद बने थे। तब से 7 बार लोकसभा के लिए चुने जा चुके थे। उन्होंने 1989 से 2004 तक लगातार 6 बार लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। इस दौरान भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर राजनीतिक ताकत दिखाई थी। उन्होंने 1991 और 1996 में कांग्रेस से चुनाव लड़ा और जीता। इसके बाद वे कांग्रेस से अलग हो गए और 1998 के चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और जीते।
1999 में उन्हें फिर से एक स्वतंत्र सांसद के रूप में चुना गया। 2004 में उन्होंने भारत नवशक्ति पार्टी नाम से अपनी पार्टी बनाई और दादरा और नगर हवेली से सांसद बने। उन्होंने 2009 में कांग्रेस पार्टी भी ज्वाइन की थी। हालांकि, पिछले लोकसभा चुनाव यानी 2019 में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे। 2020 में वह जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो गए।