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शोधकर्ताओं का दावा- देश में ‘सहस्रबाहु’ बना कोरोना, पांच हजार नए स्वरूप में घेर रहा है - Prakhar Prahari
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शोधकर्ताओं का दावा- देश में ‘सहस्रबाहु’ बना कोरोना, पांच हजार नए स्वरूप में घेर रहा है

हैदराबाद. कोरोना को लेकर जांरी जंग के बीच शोधकर्ताओं ने हैरतअंगेज दावा किया है। इनके मुताबिक देश में कोरोना वायरस एक नहीं, दो नहीं बल्कि पांच हजार से ज्यादा स्वरूप पाए गए हैं। यह संख्या तब है, जबकि बहुत सारे सैंपल की पूरी तरह से सीक्वेंसिंग भी नहीं की गई है। इसलिए इसका सबसे बड़ा उपाय फिलहाल यही है कि दो गज की दूरी बनाए रखें। कोरोना प्रोटकॉल का पूरी तरह पालन करें।

सावधान रहें, सतर्क रहें, क्योंकि देश के कई राज्यों में कोरोना वायरस फिर तेजी से अपना पांव पसारने लगा है। इस कारण देश में बीते 6 दिनों से कोरोना के मामलों में तेजी आई है। आज लगातार छठे दिन देश में कोरोना वायरस के मामलों में उछाल देखा गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के 14,264 नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान 90 लोगों की मौत हुई है। इसके साथ ही देश में कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या भी बढ़ रही है। जिससे सरकार चिंतित है।

विज्ञानियों ने पाया है कि जिन देशों में कोरोना के नए वैरिएंट से तेजी से संक्रमण फैला है, उसकी वजह यही है कि उनके स्पाइक प्रोटीन की संरचना में बदलाव हुआ था। वायरस का एक नया स्वरूप ए3आइ था, जिसके धीमे प्रसार की बात कही गई थी। दुनियाभर में सबसे तेजी से वायरस का ए2ए वैरिएंट फैला। हाल ही में कई देशों में पाए गए वायरस के नए स्वरूप ने इसलिए चिंता बढ़ा दी थी, क्योंकि इसके स्पाइक प्रोटीन में बदलाव हुआ, जिससे चिपक कर वायरस मानव कोशिकाओं में पहुंचा।

यह जानकारी इसलिए भी चिंताजनक है, क्योंकि देश में फिर से कोरोना के मामले बढ़ने लगे हैं। विज्ञानियों की मानें तो वायरस प्राकृतिक तौर पर म्यूटेट करते हैं यानी अपनी संरचना में बदलाव करते हैं। आमतौर पर वायरस में महीने में एक या दो बदलाव होता है। कोरोना वायरस में भी ऐसा हो रहा है। अध्ययन में यह भी सामने आया है कि वायरस के जिस स्वरूप के स्पाइक प्रोटीन में बदलाव होता है वह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की पकड़ में नहीं आते और व्यक्ति के दोबारा संक्रमित होने का खतरा रहता है। वायरस की प्रोटीन की संरचना में आए बदलाव के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली पहले के संक्रमण से उनकी पहचान नहीं कर पाती है।

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) के कोशिका एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र (सीसीएमबी) के विज्ञानियों के अध्ययन में यह बात समाने आई है। विज्ञानियों ने शोध प्रकाशन में देश में पांच हजार से अधिक कोरोना वायरस के स्वरूप का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत किया है। साथ ही यह भी बताया है कि महामारी के दौरान वायरस के ये स्वरूप किस तरह से विकसित हुए।

अध्ययन रिपोर्ट की प्रमुख लेखिका डॉ. सुरभि श्रीवास्तव ने कहा कि टीकों का विकास और टीकाकरण आशाजनक है, लेकिन वायरस के प्रसार को रोकने के लिए हमें मास्क पहनने, शारीरिक दूरी बनाए रखने जैसे उपाय भी जारी रखने होंगे। वायरस का प्रसार कम होगा तो उसमें बदलाव की संभावना भी सीमित होगी।

Delhi Desk

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