म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए हैं. पुलिस के बल प्रयोग के बावजूद विरोध प्रदर्शन थम नहीं रहे हैं. देश के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले में हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे. पुलिस ने इन्हें खदेड़ने के लिए फायरिंग की. इसमें दो लोगों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हो गए. गत एक फरवरी को तख्तापलट के बाद शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों में यह सबसे बड़ी हिंसा बताई जा रही है.
बता दें कि राजधानी नेपीता और यंगून समेत कई शहरों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं. इन प्रदर्शनों में सरकारी कर्मचारियों समेत हर वर्ग के लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. वे सैन्य शासन खत्म करने और अपदस्थ सर्वोच्च नेता आंग सान सू की और दूसरे नेताओं को रिहा करने की मांग कर रहे हैं. इन्हीं मांगों को लेकर मांडले में भी बड़ी संख्या में शिपयार्ड के कर्मचारी और दूसरे प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे. उनकी पुलिस के साथ झड़प हो हुई.
पुलिस ने उन्हें खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और फायरिंग की. रबर की गोलियों और पानी की तेज बौछारों का भी प्रयोग किया. वालंटियर इमरजेंसी सर्विस एजेंसी ने बताया कि दो की मौत हुई है और 20 घायल हुए हैं. स्थानीय मीडिया के अनुसार, सिर में चोट लगने से एक व्यक्ति की मौत हुई, जबकि दूसरे की मौत सीने में गोली लगने से हुई. इससे पहले शुक्रवार को एक घायल महिला प्रदर्शनकारी की मौत हुई थी. उसे नेपीता में पिछले हफ्ते उस समय गोली लगी थी, जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए फायरिंग की थी. तख्तापलट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में यह पहली मौत थी. इस महिला प्रदर्शनकारी को कई जगहों पर श्रद्धांजलि दी गई.
दरअसल, म्यांमार की सेना पिछली एक फरवरी को नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) की सरकार को अपदस्थ कर सत्ता पर काबिज हो गई. देश की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की समेत कई शीर्ष नेताओं को हिरासत में ले लिया गया. इसके बाद से ही पूरे देश में विरोध प्रदर्शनों का दौर जारी है. सेना ने प्रदर्शनों को रोकने के प्रयास में लोगों के जमावड़ों पर रोक लगाने के साथ ही कई शहरों में कर्फ्यू लगा दिया है. इंटरनेट पर भी रोक लगा दी है.