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नए श्रम कानूनों का आपकी सैलरी पर क्या पड़ेगा असर, जानें पूरा गणित

यदि आप नौकरीपेशा में हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है क्योंकि मोदी सरकार ने आपसे संबंधित कानूनों में बदलाव किया है, जिसका असर आपकी टेक होम सैलरी पर पड़ेगी।

दरअसल देश में अभी तक नौकरीपेशा लोगों के लिए 29 श्रम कानून थे, लेकि मोदी सरकार ने चौंकाने वाला फैसला लेते हुए इनकी संख्या घटाकर चार कर दी है। देश में नौकरीपेशा से जुड़े हुए लोगों के लिए जो कानून रह गए है, वे हैं- व्यावसायिक सुरक्षा कानून, स्वास्थ्य और कार्य की स्थितियां, औद्योगिक संबंध और सामाजिक सुरक्षा कानून। ये कानून एक अप्रैल से 2021 से लागू हो जाएंगे और एक मई की सैलरी पर इनका असर भी दिखना शुरू हो जाएगा।

सबसे पहले आपको समझाते हैं सैलरी का गणितः आम तौर पर नौकरी करने वाले लोग इससे दो शब्दों में परिचित होते हैं, पहला सीटीसी (CTC) यानी कॉस्ट टु कंपनी और दूसरा टेक होम सैलरी या इन-हैंड सैलरी भी कहा जाता है।

– सीटीसी (CTC) आपके काम के ऐवज में कंपनी द्वारा किए कुल खर्च यानी आपकी कुल सैलरी होती है। इसमें आपकी बेसिक सैलरी के अलावा हाउस अलाउंस, मेडिकल अलाउंस, ट्रैवल अलाउंस, फूड अलाउंस और इंसेंटिव भी होता है। इन सबको मिलाकर आपकी जो सैलरी बनती है, उसे सीटीसी कहा जाता है।

– अब बात करते हैं टेक होम सैलरी की। आपके हाथ में सैलरी मिलती है, तो वह आपकी सीटीसी से कम होती है। इसकी वजह यह है कि कंपनी आपकी सीटीसी में कुछ पैसा पीएफ (PF) यानी प्रोविडेंट फंड यानी के लिए काटती है, कुछ मेडिकल इंश्योरेंस के प्रीमियम के तौर पर काटती है। इसके अलावा भी कुछ अन्य मदों में कटौती की जाती है। इन सभी के बाद जो पैसा आपके हाथ में आता है, वह आपकी इन-हैंड सैलरी होती है।

किस पर पड़ेगा असरः-

जिन लोगों की बेसिक सैलरी सीटीसी की 50 प्रतिशत है, उसे कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला, लेकिन जिसकी बेसिक सैलरी सीटीसी  की 50 फीसदी नहीं है उसे ज्यादा फर्क पड़ेगा। ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि नए नियमों के अनुसार अब किसी की भी बेसिक सैलरी सीटीसी के 50 प्रतिशत  से कम नहीं हो सकती।

आपको बता दें कि पीएफ का पैसा आपकी बेसिक सैलरी से कटता है, जो बेसिक सैलरी का 12 प्रतिशत होता है। यानी आपकी बेसिक सैलरी ‍जितनी ज्यादा होगी पीएफ उतना ज्यादा कटेगा। अब तक यह होता था कि लोग अपने सीटीसी बेसिक सैलरी कम कराकर अलाउंस बढ़वा लेते थे। इस वजह से उन्हें टैक्स में छूट भी मिल जाती थी। पीएफ कम कटता था। इस वजह से इन-हैंड सैलरी बढ़ जाती थी।

 

Shobha Ojha

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