रांची. आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को अभी जेल में ही रहना होगा। उनकी आधी सजा पूरी होने में करीब 60 दिन कम है। ऐसे में उन्हें जमानत प्रदान नहीं की जा सकती। जमानत खारिज होने के बाद लालू प्रसाद को अब 60 दिनों के बाद फिर से हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर करनी होगी। बता दें कि खराब स्वास्थ्य के कारण अभी वे दिल्ली एम्स में भर्ती हैं। इस बीच, दुमका कोषागार मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने उनकी खारिज कर दिया है। दुमका कोषागार मामले में लालू प्रसाद को CBI कोर्ट ने दो अलग-अलग धाराओं में 7-7 साल की सजा सुनाई है। सजा की आधी अवधि काट लेने के आधार पर लालू प्रसाद ने जमानत देने का आग्रह हाई कोर्ट से किया था।
लालू यादव की तरफ से दलील पेश करते हुए वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि चारा घोटाले से संबंधित आरोपी जगदीश शर्मा, दयानंद कश्यप और सुनील गांधी को आधी सजा पूरी नहीं होने के बावजूद हाईकोर्ट ने जमानत प्रदान की है। लालू प्रसाद की तबीयत भी ठीक नहीं है। वह गंभीर रूप से बीमार हैं, इस आधार पर भी वह जमानत के हकदार हैं। सीबीआई ने इसका विरोध करते हुए कहा कि दुमका कोषागार मामले में उन्हें रिमांड में लेने में विलंब किया गया है। जब तक रिमांड में नहीं लिया जाता, तब तक दूसरे मामले की सजा की गणना नहीं की जा सकती। दलील पेश करते हुए वरीय अधिवक्ता राजीव कुमार सिन्हा ने कहा कि लालू प्रसाद का दावा सही नहीं है। सीबीआई ने लालू प्रसाद के सभी मामलों के आदेश की कॉपी और संबंधित दस्तावेज भी पेश किए गए। निचली अदालत के दस्तावेज हाई कोर्ट में लगाए थे, लेकिन हाई कोर्ट ने दो महीने की अवधि को न्यायिक हिरासत की अवधि नहीं माना।
करीब चार घंटे तक सुनवाई करने के बाद जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने माना कि लालू प्रसाद का दावा सही नहीं है। अदालत ने कपिल सिब्बल की दलील पर कहा कि लालू प्रसाद और अन्य का मामला अलग अलग है। दोनों को एक साथ नहीं जोड़ा जा सकता। उनकी आधी सजा पूरी होने में करीब 60 दिन कम है। ऐसे में उन्हें जमानत प्रदान नहीं की जा सकती। जमानत खारिज होने के बाद लालू प्रसाद को अब 60 दिनों के बाद फिर से हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर करनी होगी।
बता दें कि लालू प्रसाद को चारा घोटाले के नियमित मामले RC 20A/96 में 5 वर्ष की सजा सुनाई गई। 25 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया। देवघर कोषागार से जुड़े RC 64A/96 में साढ़े 3 वर्ष की सजा सुनाई गई, जबकि 5 लाख रुपए का जुर्माना लगा। चाईबासा ट्रेजरी से अवैध निकासी मामले RC 68A/96 में 5 साल की सजा सुनाई गई। 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया। दुमका कोषागार से जुड़े मामले में 7-7 वर्ष की सजा सुनाई गई। डोरंडा ट्रेजरी से अवैध निकासी मामले की सुनवाई चल रही है।
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