सांकेतिक तस्वीर
केपटाउन. भारत ने दक्षिण अफ्रीका को पिछले हफ्ते वैक्सीन की 10 लाख खुराकें भेजी थीं और अगले कुछ हफ्ते में 5 लाख खुराकें भेजी जानी थीं, इस बीच दक्षिण अफ्रीका ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से कोविड-19 की 10 लाख खुराकें वापस लेने के लिए कहा है।
दरअसल, महामारी के इतने महीने में कोरोना वायरस हजारों बार म्यूटेट हुआ है, लेकिन वहां के वैज्ञानिकों को तीन वेरियंट्स को लेकर चिंता है, जो पहले से ज्यादा संक्रामक हैं। इनमें ब्रिटेन के केंट, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील के वेरियंट शामिल हैं। एक क्लीनिकल ट्रायल में पाया गया था कि कोरोना वायरस के 501Y.V2 वेरियंट का कम गंभीर बीमारी पर ज्यादा असर नहीं है। इसके बाद वैक्सिनेशन प्रोग्राम में इसके इस्तेमाल को रोक दिया गया था।
जॉनसन ऐंड जॉनसन और नोवावैक्स ने भी बताया है कि उनकी वैक्सीनें नए स्ट्रेन के खिलाफ असरदार नहीं हैं। इसी तरह मॉडर्ना नए वेरियंट के लिए बूस्टर शॉट तैयार कर रही हैं जबकि Pfizer-BioNTech की वैक्सीन भी कम असरदार मिली है।
कंपनी के प्रवक्ता का कहना है कि इस छोटे पहले चरण के ट्रायल में शुरुआती डेटा में B.1.351 दक्षिण अफ्रीकी वेरियंट के कारण कम गंभीर बीमारी के खिलाफ सीमित असर देखा गया है। हालांकि, अभी गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती किए गए लोगों पर इसके असर को स्टडी नहीं किया जा सका है। इस स्टडी में शामिल वॉलंटिअर्स की औसतन उम्र 31 साल रही जिसमें आमतौर पर लोग इन्फेक्शन का शिकार नहीं होते हैं।
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