नई दिल्ली. कांग्रेस ने राज्यसभा में अपनी कमान वरिष्ठ नेता मल्लिाकर्जुन खड़गे को सौंप दी। वे मंगलवार राज्यसभा में नए नेता प्रतिपक्ष बनाए गए। बहुत दिनों से कांग्रेस में बेचैनी थी कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद का स्थान आखिर कौन लेगा। लगातार मंथन के बाद कांग्रेस ने मल्लिाकर्जुन खड़गे के नाम पर मुहर लगा दी। इसे पार्टी के करीब सभी नेताओं का फैसला बताया जा रहा है। राज्यसभा सचिवालय की ओर से जारी संसदीय बुलेटिन के मुताबिक, राज्यसभा सदस्य के तौर पर आजाद का कार्यकाल 15 फरवरी को खत्म होने के बाद सभापति एम. वेंकैया नायडू ने खड़गे को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता दी है।
मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस पार्टी के नेता हैं और कर्नाटक से सांसद हैं। राज्यसभा के मेंबर है, भारत सरकार में पूर्व रेल मंत्री और श्रम और रोजगार मंत्री रह चुके खड़गे ने वकालत की पढ़ाई की। खड़गे 2009-2019 के दौरान कर्नाटक के गुलबर्गा क्षेत्र से सांसद थे। खड़गे संसद में हुई कई बहसों में हिस्सा ले चुके हैं। कर्नाटक में पले-बढ़े खड़गे ने वकालत की पढाई की, मजदूर संघ के लोगों के लिए कई मुकदमे लड़े। पहले छात्र नेता बनकर उभरे और फिर कांग्रेस पार्टी में अपनी जगह बना ली।
बता दें कि 2014 के आम चुनावों में, खड़गे ने गुलबर्गा संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और जीत गए, उन्होंने बीजेपी से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 73,000 मतों से हराया। जून में उन्हें लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता के रूप में नियुक्त किया गया था। कर्नाटक से ताल्लुक रखने वाले दलित नेता खड़गे 2014 से 2019 के बीच लोकसभा में कांग्रेस के नेता रह चुके हैं। बड़ी बात यह है कि खड़गे साल 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए। इसके बाद पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया।
पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नायडू को पत्र लिखकर खड़गे को उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने का अनुरोध किया था। आजाद जम्मू-कश्मीर से राज्यसभा के सदस्य थे। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान हटाए जाने और इसके केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाने के बाद से वहां विधानसभा अस्तित्व में नहीं है।