नई दिल्ली. आजादी के बाद से देश में अब तक किसी भी महिला को फांसी की सजा नहीं दी गई, लेकिन मथुरा जेल में इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी है। उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के बावनखेड़ी गांव की रहने वाली शबनम ने 14 अप्रैल, 2008 की रात अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर माता-पिता और मासूम भतीजे समेत परिवार के सात लोगों का कुल्हाड़ी से गला काटकर मौत की नींद सुला दिया था।
इसी गुनाह में शबनम को फांसी की सजा सुनाई गई है। शबनम की दया याचिका को राष्ट्रपति ने भी खारिज कर दिया है। ऐसे में उसका फांसी पर लटकना तय है।
मथुरा जिले में वर्ष 1866 में जेल का निर्माण कराया गया था, तब यहां महिला को फांसी देने के लिए फांसी घर बनाया गया था। आजादी के बाद से लेकर अब तक इस फांसी घर में किसी महिला को नहीं लटकाया गया है। यदि शबनम और सलीम को फांसी होती है तो यह आजाद भारत का पहला मामला होगा। फांसी पर लटकाने के लिए बक्सर से मनीला सन के फंदे वाले दो रस्सा मंगाए गए हैं। पवन जल्लाद मौके की जगह का भ्रमण कर सारी जानकारियां दे चुके हैं।
बक्सर से फांसी के लिए रस्सी मंगवाई जा रही है। पवन जल्लाद दो बार फांसीघर का निरीक्षण कर चुका है, तख्ता-लीवर में कमी थी जिसे दूर कर दिया गया है। पवन जल्लाद पिछले साल के शुरू में तब खासी चर्चाओं में आए थे, जब निर्भया केस में चारों गुनहगारों को एक साथ दिल्ली की जेल में फांसी की सजा दी गई।
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