सांकेतिक तस्वीर
वॉशिंगटन. विश्व स्वास्थ्य संगठन के दल ने अब वुहान में कोरोना वायरस को लेकर सनसनीखेज खुलासा किया है। जांच दल ने कहा कि उन्हें ऐसे संकेत मिले हैं कि वुहान में कोरोना वायरस ने अनुमान से 500 प्रतिशत ज्यादा कहर बरपाया था।
जांचकर्ता पीटर बेन इमबरेक ने की मानें तो वुहान में दिसंबर में कोरोना फैलने लगा था। तब 174 केस आ गए थे। खतरनाक स्थिति यह थी कि वुहान में कोरोना वायरस के 13 अलग-अलग जेनेटिक सिक्वेंस आ गए थे। मतलब वहां कोरोना वायरस अनुमान से और ज्यादा पहले फैल रहा था। इस महामारी के बारे में 31 दिसंबर 2019 को वुहान के स्वास्थ्य अधिकारियों ने डब्ल्यूएचओ को बताया था, लेकिन सरकारी दस्तावेजों में कहा गया है कि चीन में कोरोना का पहला मामला 17 नवंबर, 2019 को आया था। 23 जनवरी को वुहान में लॉकडाउन की नौबत आ गई। तब ये
दुनिया में अपनी तरह का पहला लॉकडाउन था, जहां वायरस को फैलने से रोकने के लिए कठोर पाबंदियां लंबे समय के लिए लगाई गईं। लेकिन रोकथाम के हिसाब से तब तक बहुत देर हो चुकी थी, क्योंकि लगभग 50 लाख लोग छुट्टियों मनाने के लिए वुहान से बाहर जा चुके थे। मगर, सूचनाओं पर नियंत्रण, चीन के सरकारी तंत्र का लंबे समय से एक अहम हिस्सा रहा है। हमारे इस मामले का सार भी यही निकलकर आया।
वुहान में महामारी कैसे और क्यों फैली, और क्या इसकी बेहतर तरीके से रोकथाम की जा सकती थी, ये किसी की पसंद-नापसंद की बात नहीं है। वैश्विक महामारी के केंद्र वुहान के बारे में ये सवाल पूछना बेहद ज़रूरी है और उतना ही जरूरी जवाब से संतुष्ट होना भी है, क्योंकि वुहान ही वो जगह है जहां इस वायरस का पहली बार पता चला। यही वो जगह है जहां पहली बार इस वायरस पर काबू पाने की कोशिश हुई। एक अध्ययन से ये संकेत मिलता है कि अगर एक हफ्ते पहले अधिकारी सही दिशा में हरकत में आए होते, तो चीन में संक्रमण के 66 प्रतिशत मामलों को कम किया जा सकता था। लेकिन अधिकारी इन आरोपों से इनकार करते हैं।
वुहान में जो लॉकडाउन किया गया, वो कोरोना पर काबू पाने के लिए लिहाज से सफल रहा। लेकिन चीन को आरोपों का सामना करना पड़ा, जिनमें अमरीकी सरकार के आरोप भी शामिल थे कि चीन ने कोरोना से निपटने में देरी के साथ मामले की लीपापोती भी की, जिससे इस बीमारी ने वैश्विक संकट का रूप धारण कर लिया।
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