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करीब 17 महीने पहले जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया गया था. भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को खत्म कर राज्य में अमन-चैन लाने के लिए बड़ा कदम उठाया. उस दौरान जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित राज्यों में विभाजित किया गया. इसके लिए जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक लाया गया था. अब इस विधेयक को आज शनिवार (13 फरवरी) को लोकसभा से पारित कर दिया गया है.

लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक का राज्य के दर्जे से कोई संबंध नहीं है और सही समय पर जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा. गृह मंत्री ने कहा कि इस विधेयक में ऐसा कहीं भी नहीं लिखा है कि इससे जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा.

4जी इंटरनेट सुविधाएं दबाव में बहाल करने के आरोप पर जवाब देते हुए शाह ने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी जी ने कहा कि 2जी से 4जी इंटरनेट सेवा को विदेशियों के दबाव में लागू किया है, उन्हें पता नहीं है कि यह यूपीए सरकार नहीं, जिसका वह समर्थन करते थे. शाह ने कहा कि यह नरेन्द्र मोदी की सरकार है, जो देश के लिए फैसले करती है. उन्होंने कहा कि यहां कहा गया कि अनुच्छेद 370 हटाने के वक्त जो वादे किए गए थे, उनका क्या हुआ? मैं उसका जवाब जरूर दूंगा लेकिन पूछना चाहता हूं कि अभी तो अनुच्छेद 370 को हटे हुए केवल 17 महीने हुए हैं, आपने 70 साल क्या किया उसका हिसाब लेकर आये हो क्या?

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि जिन्हें पीढ़ियों तक देश में शासन करने का मौका मिला, वे अपने गिरेबां में झांककर देखें, क्या आप हमसे 17 महीने का हिसाब मांगने के लायक हैं या नहीं. शाह ने कहा कि मैं इस सदन को फिर से एक बार कहना चाहता हूं कि कृपया जम्मू-कश्मीर की स्थिति को समझें. राजनीति करने के लिए कोई ऐसा बयान न दें, जिससे जनता गुमराह हो. शाह ने कहा कि औवेसी अफसरों का भी हिन्दू-मुस्लिम में विभाजन करते हैं. उन्होंने पूछा कि क्या एक मुस्लिम अफसर हिन्दू जनता की सेवा नहीं कर सकता या हिन्दू अफसर मुस्लिम जनता की सेवा नहीं कर सकता? उन्होंने कहा कि अफसरों को हिन्दू-मुस्लिम में बांटते हैं और खुद को धम्रनिरपेक्ष कहते हैं. बता दें कि एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने आरोप लगाया था कि जम्मू कश्मीर में आबादी के हिसाब से मुस्लिम अफसरों की संख्या कम है और हिन्दुओं की ज्यादा है.

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