कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही है। यह कयास पिछले दिनों राज्यसभा से उनके कार्यकाल की समाप्ति के बाद से लगाए जा रहे हैं। इसकी मुख्य वजह है आजाद की विदाई समारोह के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन। आजाद को राज्यसभा से विदाई देते समय पीएम भावुक हो गए थे। उनकी आंखों से आंसू छलक आए थे। मोदी ने अपने संबोधन के दौरान कहा था कि गुलाम नबी आजाद जैसा दूसरा नेता कांग्रेस को नहीं मिलेगा। उन्होंने आजाद के साथ बिताए अपने समय को याद किया था तथा कई बार भावुक हुए थे। बाद में आजाद जब राज्यसभा में बोल रहे थे, तभी मोदी की आंखें भी नम हुई थीं। यहीं अटकलों का दौर शुरू हुआ और लोग कयास लगाने लगे कि आजाद कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने तो नहीं जा रहे है। अब इन अटकलों का जवाब खुद आजाद ने दिया है। अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वह उस दिन बीजेपी ज्वॉइन कर लेंगे जब कश्मीर में काली बर्फ गिरेगी।
उन्होंने कहा, “बीजेपी ही क्यों… कश्मीर में जब काली बर्फ गिरेगी तो किसी और पार्टी को भी ज्वॉइन कर लूंगा। जो लोग ऐसा कहते हैं या ऐसी अफवाहें फैलाते हैं, वे मुझे नहीं जानते। जब राजमाता विजया राजे सिंधिया विपक्ष की उप-नेता थीं, तो उन्होंने खड़े होकर मुझपर कुछ आरोप लगाए थे। मैं उठा और मैंने कहा कि मैं आरोप को बड़ी गंभीरता से लेता हूं और सरकार की ओर से अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता में एक समिति बनाने का सुझाव देना चाहूंगा जिसमें राजमाता सिंधिया और लाल कृष्ण आडवाणी सदस्य होंगे। मैंने कहा कि वह अपनी रिपोर्ट 15 दिन में देंगे और जैसी भी सजा तय करेंगे, मैं मान लूंगा। जैसे ही मैंने वाजपेयी जी का नाम लिया, वह आए और पूछा क्यों। जब मैंने उन्हें बताया तो उन्होंने खड़े होकर कहा कि मैं सदन से क्षमा मांगता हूं और गुलाम नबी आजाद से भी। शायद राजमाता सिंधिया उन्हें नहीं जानतीं, लेकिन मैं जानता हूं।”
आजाद ने गत दिनों राज्यसभा में मोदी के भावुक होने की वजह भी समझाते गुए कहा कि 2006 में एक गुजराती टूरिस्ट बस पर कश्मीर में हमला हुआ था और मैं उनसे बात करते-करते रो पड़ा था। पीएम उसी घटना को याद करके भावुक हो गए थे। वह पूरी बात नहीं बता सके थे क्योंकि रो दिए थे और जब मैं कहानी पूरी करना चाहता था तो मैं भी नहीं कर पाया क्योंकि मुझे लगा कि मैं 14 साल पहले के उसी पल में पहुंच गया था जब वो हमला हुआ था।
उन्होंने कहा कि मैं और मोदी एक-दूसरे को 90 के दशक से जानते हैं। उन्होंने कहा कि हम दोनों अपनी-अपनी पार्टी के महासचिव थे और टीवी डिबेट्स में अलग-अलग राय देने जाया करते थे। हम डिबेट्स में खूब लड़ा करते थे, लेकिन अगर हम जल्दी पहुंच जाते तो चाय पीते हुए बतियाते रहते थे। बाद में हमने एक-दूसरे को मुख्यमंत्रियों की तरह जाना, प्रधानमंत्री की बैठकों और गृह मंत्री की बैठकों में मिलते रहे हैं। तब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे और मैं स्वास्थ्य मंत्री… हम हर 10 से 15 दिन पर बात करते थे।
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