रांची. नब्बे के दशक में जब लालू प्रसाद यादव बोलते थे तो पूरा देश ही नहीं, पाकिस्तान तक लोटपोट हो जाता था। तब सांप्रदायिकता और पूंजी-परस्ती की राजनीति के विरोधी लालू यादव को पलकों पर बैठाते थे। एक ग़रीब चरवाहा सामाजिक न्याय की लड़ाई के कारण बिहार जैसे राज्य का मुख्यमंत्री बना था, इसके बावजूद उसने अपने बदन से आने वाली मिट्टी की गंध को मिटने नहीं दिया था। लालू प्रसाद यादव ने इस अभिजात्य को तोड़ा और मुख्यमंत्री को पान की दुकान पर खड़े होकर बतकही करने वाले किसी साधारण इंसान के बराबर ला खड़ा किया, लेकिन चारा घोटाले ने उन्हें जेल में लाकर पटक दिया, जहां से कभी उन्होंने लड़ाई की शुरुआत की थी। कई मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है और कुछ मुक़दमा अभी चल रहा है।
दुमका कोषागार से निकासी मामले में लालू यादव को फिर जमानत नहीं मिल पाई। अब अगले हफ्ते सुनवाई होगी। ऐसा लग रहा था कि आज शुक्रवार को लालू यादव को जमानत मिल जाएगी, लेकिन विरोधाभासी तिथियों के कारण जमानत लटक गई। लालू यादव के अनुसार, दुमका कोषागार वाले मामले में वे 42 माह जेल में रहे, जबकि सीबीआई के अनुसार 37 माह 6 दिन। इस पर कोर्ट ने दोनों से कस्टडी के दिनों में होने वाले अंतर की सत्यापित आदेश की प्रति कोर्ट में जमा करने का आदेश दिया है।
इसके पहले झारखंड हाईकोर्ट में लालू की ओर से पैरवी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल रांची पहुंचे। हाईकोर्ट के जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत में सुनवाई शुरू हुई। लालू प्रसाद ने दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में सजा की आधी अवधि पूरी करने का हवाला देते हुए जमानत देने का आग्रह किया। इस मामले में लालू प्रसाद यादव को अदालत से सात साल की सजा मिली है। लालू प्रसाद की ओर से कहा गया कि दुमका कोषागार मामले में लालू प्रसाद ने 8 फरवरी को सजा की आधी अवधि 42 माह 13 दिन पूरे कर लिए हैं, लिहाजा उन्हें जमानत दी जा सकती है। इसका सीबीआई ने पुरजोर विरोध किया और कहा कि काटी गई सजा की अवधि कम बताई जा रही है। इसलिए उन्हें अभी जमानत नहीं दी जा सकती। इस पर अदालत ने दोनों ही पक्ष को सत्यापित प्रतियां कोर्ट में पेश करने को कहा है, ताकि निष्कर्ष निकाला जा सके।
बता दें कि पिछली सुनवाई में अदालत ने लालू प्रसाद को हिरासत से संबंधित दस्तावेज पेश करने का आदेश दिया गया था। लालू प्रसाद ने इसके लिए समय की मांग की थी। इसके बाद कोर्ट ने समय देते हुए मामले में सुनवाई के लिए 12 फरवरी की तिथि निर्धारित की थी। लालू प्रसाद का अभी दिल्ली स्थित एम्स में इलाज चल रहा है। इसके साथ ही झारखंड हाई कोर्ट में स्वत: संज्ञान के आधार पर लालू के जेल मैनुअल उल्लंघन मामले में भी सुनवाई चल रही है। इस मामले में लालू की मेडिकल रिपोर्ट पेश नहीं करने पर रिम्स, रांची के डायरेक्टर को शो-कॉज नोटिस जारी किया गया है।
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