बिहार सरकार ने कोरोना जांच में फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। इस सिलसिले में जमुई के सिविल सर्जन विजेंद्र सत्यार्थी, डीपीओ सुधांशु लाल सहित पांच अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया। साथ ही कई अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। राज्य सरकार ने फर्जीवाड़े का पता लगाने के लिए सभी जिलों के प्रशासन को निर्देश दिए हैं। साथ ही गड़बड़ियों का पता लगाने के लिए स्वास्थ विभाग की 12 टीमें गठित की गई हैं। दिल्ली से पटना लौटने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी शुक्रवार को पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि इस मामले में कार्रवाई हो रही है।

वहीं राज्य  स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि जांच में गड़बड़ी करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों और अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही पूरे मामले की जांच के लिए टीमें बनाई गई हैं। उन्होंने कहा कि जमुई में सिकंदरा और बरहट प्रखंड में गड़बड़ी की बात आई थी, जो जांच में सही पाया गया। उन्होंने बताया कि इस मामले में जमुई के सिविल सर्जन विजेंद्र सत्यार्थी, डीपीओ सुधांशु लाल सहित पांच अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही कई अन्य स्वास्थकर्मियों पर भी कार्रवाई की गई है।

पांडेय ने बताया कि कोविड जांच से गड़बड़ियों का पता लगाने के लिए विशेष टीमें भी बनाई गई है, जो अलग-अलग जिलों में जाकर जांच कर रही हैं। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने भी सभी जिलाधिकारियों को अपने स्तर से जांच करवाने का निर्देश दिया है।

क्या है मामला…

पटना, शेखपुरा और जमुई के छह पीएचसी (PHC) में 16, 18 और 25 जनवरी को कोरोना जांच के 588 एंट्री की जांच की गई तो पया गया कि डेटा प्रोटोकॉल को पूरा करने के लिए नाम, उम्र और मोबाइल नंबर गलत डाले गए थे।

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