भारत सरकार ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर को हद में रहने की हिदायत दी है। ट्विटर तथा सरकार के बीच जारी मतभेदों के बीच केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव अजय प्रकाश साहनी और ट्विटर के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत हुई है।
केंद्र सरकार ने इस बात की पुष्टि की और कहा है कि मंत्रालय के सचिव साहनी और ट्विटर की वाइस प्रेसिडेंट (ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी) मोनिके मेशे ने चर्चा की है। इस दौरान ट्विटर से सरकारी नियमों के अनुपालन करने और लोकतांत्रिक संस्थाओं का सम्मान बनाए रखने के लिए कहा गया।
आपको बता दें कि सरकार ने किसान आंदोलन के बारे में दुष्प्रचार और भड़काऊ बातें फैला रहे अकाउंट और हैशटैग के खिलाफ कार्रवाई करने में ट्विटर द्वारा देरी करने को लेकर सरकार ने बुधवार को ‘कड़ी नाराजगी’ जाहिर की थी। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि कंपनी की भले ही कोई नियम हों, लेकिन संबंधित देश के कानूनों का पालन करना ही चाहिए। आपको बता दें कि ट्विटर से टकराव के बीच तमाम मंत्रियों से इसके स्वदेसी वर्जन कू ऐप पर अकाउंट बनवाए और अपने बयान को भी इसी ऐप पर जारी किया।
आपको बता दें कि ट्विटर ने 500 से अधिक अकाउंट निलंबित किए हैं, लेकिन कंपनी अभिव्यक्ति की आजादी को अक्षुण्ण रखने की जरूरत का हवाला देते हुए ‘पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं नेताओं के अकाउंट पर रोक लगाने से इनकार किया है।
साहनी ने वर्चुअल डिस्कशन के दौरान ट्विटर के अधिकारियों से कहा कि भारत सरकार अभिव्यक्ति की आजादी के सिद्धांतों का सम्मान करती है। यह हमारे लोकतंत्र का हिस्सा है और इसके लिए संविधान में प्रावधान भी हैं, लेकिन यह आजादी निरंकुश नहीं है और इसपर जरूरी प्रतिबंध लागू होते हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों की यह बात संविधान से आर्टिकल 19 (2) में लिखी हुई हैं। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने भी समय-समय पर इसे लेकर तमाम फैसले दिए हैं।
सरकार ने कहा कि ट्विटर का भारत में बिजनेस करने के लिए स्वागत है, लेकिन ऐसा तभी हो सकता है, जब वह भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं का सम्मान करे। किसी भी कंपनी को भारतीय संसद के द्वारा पारित कानूनों का पालन करना ही होगा। भले ही उसके अपने नियम जैसे भी हों।