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अंतरराष्ट्रीय

तख्तापलट के बाद अलग-थलग पड़ा म्यांमार, अमेरिका के बाद कई देशों ने राजनयिक संबंधों में कटौती और आर्थिक पाबंदी लगाने के दिए संकेत

म्यांमार में मुश्किल में है और इसकी मुख्य वजह है वहां की सेना। निर्वाचित सरकार का तख्तापलट कर सत्ता पर काबिज हुई सेना की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और बाहरी मुल्क रिश्ते तोड़ रहे हैं। अमेरिका के बाद दुनिया के कई देशों ने म्यांमार की तानाशाह सेना पर नकेल लगाने के लिए राजनयिक संबंधों में कटौती करने और आर्थिक प्रतिबंध लगाने के संकेत दिए हैं। जिन देशों ने म्यांमार से राजनयिक संबंधों में कमी करने के संकेत दिए है, उनमें न्यूजीलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, ब्रुनेई और यूरोपीय संघ के सदस्य देश शामिल हैं। न्यूजीलैंड ने तो म्यांमार के साथ सभी सैन्य और उच्च स्तरीय राजनीतिक संपर्क तोड़ भी लिया है। इससे पहले अमेरिका ने म्यांमार के सैन्य अधिकारियों की कई संपत्तियां जब्त कर ली थी।

आपको बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन ने बुधवार को कार्यकारी आदेश हस्ताक्षर कर दिया था, जिसके तहत म्यांमार के सैन्य अधिकारियों की अमेरिका में करीब एक अरब डॉलर की संपत्ति जब्त कर ली गई है। बिजेन व्हाइट हाउस में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा था कि आज मैं कई कार्रवाइयों की घोषणा कर रहा हूं और इसकी शुरुआत म्यांमार तख्तापलट के लिए जिम्मेदार सैन्य अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाकर कर रहा हूं। उन्होंने बताया कि म्यांमार सरकार अमेरिका से मदद के रूप में मिले एक अरब डॉलर के कोष तक वहां के जनरलों की अनुचित तरीके से पहुंच रोकने के लिए अमेरिकी सरकार यह कदम उठा रही है।

उधर एक फरवरी को म्यांमार में हुए तख्तापलट के विरोध में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं। हालांकि सेना ने बड़ी संख्या में लोगों के एक जगह इकट्ठा होने पर पाबंदी लगा दी है, लेकिन इसके बावजूद भी लोग प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं आंग सान सू की गिहाई तथा लोकतंत्र की बहाली की मांग कर रहे हैं।

वहीं यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रमुख जोसफ बोरेल ने ब्रसेल्स में कहा कि संघ में शामिल देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक 22 से 27 फरवरी के बीच होगी।  उन्होंने बताया कि इस बैठक में म्यांमार से रिश्तों की समीक्षा की जाएगी तथा उस पर आर्थिक दबाव बढ़ाने की संभावना पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि म्यांमार की सेना के अधीन काम करने वाले व्यक्तियों तथा कारोबार को लक्षित कर प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ विकास मद में दी जाने वाली सहायता में कटौती करने के विकल्प पर वार्ता होगी। 2014 से अब तक तक यूरोपीय संघ ने म्यांमार को 85 करोड़ डॉलर की सहायता प्रदान की है।

उधर, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकर परिषद में म्यांमार संकट से मानवाधिकार पर पड़ने वाले असर पर चर्चा के लिए शुक्रवार को विशेष बैठक बुलाई है। इसके अलावा मलेशिया तथा इंडोनेशिया के नेताओं ने म्यांमार पर चर्चा करने के लिए आसियान यानी दक्षिण- पूर्व एशियाई देशों के संघ की विशेष बैठक बुलाने की मांग की है।

Shobha Ojha

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