नई दिल्ली. राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को लेकर साफ-साफ बातें की। मोदी ने कहा कि इस सदन में 15 घंटे से भी ज्यादा चर्चा हुई है। सदस्यों ने चर्चा को जीवंत बनाया है। सभी सदस्यों का आभार व्यक्त करता हूं। मैं विशेष रूप से महिला सांसदों का आभार व्यक्त करता हूं। उनकी भागीदारी भी ज्यादा थी।
हालांकि उनके भाषण के दौरान विपक्षी दलों के ने जमकर हंगामा किया। एक बार तो ऐसी स्थिति आई कि पीएम मोदी भड़क गए। उन्होंने कहा कि ठहरा हुआ पानी बीमार करता है। संसद में ये हो-हल्ला, ये आवाज, ये रुकावटें डालने का प्रयास, एक सोची समझी रणनीति के तहत हो रहा है। रणनीति ये है कि जो झूठ, अफवाहें फैलाई गई हैं, उसका पर्दाफाश हो जाएगा। इसलिए हो-हल्ला मचाने का खेल चल रहा है। मैं देख रहा था कि कांग्रेस के साथियों ने जो चर्चा की, वो इस कानून के रंग पर तो बहुत चर्चा कर रहे थे। अच्छा होता कि उसके कंटेट और इंटेट पर चर्चा करते, ताकि देश के किसानों तक सही चीजें पहुंचती।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आजादी के 75वें वर्ष के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है। हम सभी को मिलकर आजादी के इस पर्व से प्रेरणा लेकर और संकल्प लेकर जब देश 2047 में सौ साल आजादी के मनाएगा तो अगले 25 साल में हमें देश को कहां ले जाना है, यह संकल्प हर देशवासी के दिल में हो, यह काम इस पवित्र धरती, इस संसद, इस पंचायत का है। अनेक चुनाव आए, सत्ता परिवर्तन आए। परिवर्तित सत्ता व्यवस्था को भी स्वीकार करके सब आगे बढ़े। आज जब हम भारत की बात करते हैं तो स्वामी विवेकानंद जी की बात को याद करूंगा। एवरी नेशन हैज ए मैसेज टू डिलिवर, ए मिशन टू ए डेस्टिनेशन वी रीच। हर राष्ट्र की एक नियति होती है, जिसे वह प्राप्त करता है।
मोदी ने कहा कि वेद से विवेकानंद तक, जिस परंपरा से हम पले-बढ़े हैं, सर्वे भवन्तु सुखिन:, इस कोरोना काल ने यह कर दिखाया है। एक के बाद एक जनसामान्य ने ठोस कदम उठाए। पोस्ट कोरोना भी एक नया वर्ल्ड ऑर्डर नजर आ रहा है। पोस्ट कोरोना के बाद दुनिया में संबंधों का वातावरण आकार लेगा। भारत को सशक्त, समर्थ होना होगा। इसका रास्ता है आत्मनिर्भर भारत। भारत जितना आत्मनिर्भर बनेगा, जिसकी रगों में सर्वे भवन्तु सुखिन: का मंत्र जड़ा है, वह विश्व के कल्याण के लिए बड़ी भूमिका अदा कर सकेगा।
मोदी ने कृषि कानूनों की बात करते हुए कहा, ‘इस कोरोनाकाल में 3 कृषि कानून भी लाए गए। ये कृषि सुधार का सिलसिला बहुत ही जरूरी है। बरसों से हमारा कृषि क्षेत्र चुनौतियां महसूस कर रहा था, उसे उबारने के लिए हमने प्रयास किया है। भावी चुनौतियों से हमें अभी से निपटना होगा।