नई दिल्ली. सरकार नए श्रम कानूनों को लागू करने का विचार कर रही है। इस बात की जानकारी सोमवार को श्रम सचिव ने मीडिया से बातचीत करते हुए दी। श्रम सचिव ने बताया कि सरकार कंपनियों को लचीलेपन के साथ सप्ताह में चार दिन काम की मंजूरी दे सकती है। हालांकि, इसके लिए लंबी शिफ्ट में काम करना पड़ सकता है। नए लेबर कोड में ये विकल्प रखा जाएगा, जिस पर कंपनी और कर्मचारी आपसी सहमति से फैसला ले सकेंगे।
दरअसल, इसके पीछे सरकार की सोच कार्य की गुणवत्ता से संबंधित है। सर्वे के अनुसार, कई कर्मचारी अवकाश के दौरान की जाने वाली गतिविधियों पर ज्यादा समय बिताना पसंद करते हैं। इससे कर्मचारियों को काम का तनाव मिटाने में मदद मिलती है। सरकार का मानना है कि इस नियम से कंपनियों को भी फायदा होगा और उनके ऑफिस के किराये पर कम लागत आएगी। साथ ही स्टाफ ज्यादा सक्रिय और प्रोडक्टिव रहेगा।
लेबर सेक्रेटरी अपूर्वा चंद्रा के मुताबिक, सप्ताह में 48 घंटे काम करने का नियम जारी रहेगा, लेकिन कंपनियों को तीन शिफ्ट में काम कराने की मंजूरी दी जा सकती है। चंद्रा के मुताबिक, 12 घंटे की शिफ्ट वालों को सप्ताह में 4 दिन काम करने की छूट होगी। इसी प्रकार 10 घंटे की शिफ्ट वालों को 5 दिन और 8 घंटे की शिफ्ट वालों को सप्ताह में 6 दिन काम करना होगा। साथ ही बताया कि नया वर्क सप्ताह शुरू करने से पहले कर्मचारियों को छुट्टी देनी होगी। यदि कंपनियां 4 दिन काम का सप्ताह चुनती हैं तो कर्मचारियों को 3 दिन छुट्टी देनी होगी। यदि 5 दिन काम का सप्ताह चुनती हैं तो 2 दिन की छुट्टी देनी होगी। एक्सपर्ट का कहना है कि नया लेबर कोड लागू होने के बाद कंपनियों के पास 8 से 12 घंटे का वर्कडे चुनने की आजादी होगी। कंपनियां मांग, इंडस्ट्री और लोकेशन के लिहाज से वर्कडे चुन सकेंगी।
चंद्रा का कहना है कि हम इन तीनों शिफ्ट को लेकर कर्मचारियों या कंपनियों पर कोई दबाव नहीं डालेंगे। इसमें लचीलापन दिया जाएगा। एक बार नए नियम लागू हो जाएंगे तो कंपनियों को चार या पांच दिन के वर्किंग वीक के लिए सरकार से मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी।
एक्सपर्ट का मानना है कि इसके दो बड़े परिणाम हो सकते हैं। एक तो एक दिन में 12 घंटे काम से 24 घंटे चलने वाली कंपनियों में 1 दिन में केवल 2 शिफ्ट चल पाएंगी। इससे रोजगार के अवसरों में कमी आ सकती है। दूसरे लंबी शिफ्ट से कर्मचारियों का वर्क और लाइफ बैलेंस प्रभावित हो सकता है। हालांकि उनका यह भी मानना है कि वर्कडे से जुड़े नए नियमों से आईटी और शेयर्ड सर्विसेज जैसे सेक्टर्स को ज्यादा लाभ मिलेगा। बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज इंडस्ट्री के 20% से 30% कर्मचारी सप्ताह में चार या पांच दिन काम की शिफ्ट चुनकर वीकेंड में लंबा अवकाश ले सकते हैं। ह्यूमन रिसोर्सेज और फाइनेंशियल वर्टिकल जैसे प्रोफाइल में काम करने वाले इस प्रैक्टिस को आसानी और तेजी से स्वीकार कर सकते हैं।
सर्वे में यह बात सामने आई कि भारत के लोग सबसे अधिक मेहनती हैं। 69 फीसदी लोगों ने कहा कि वे सप्ताह में 5 दिन काम करना चाहेंगे करेंगे, भले ही समान वेतन पर उन्हें इससे भी कम दिन काम करने की आजादी मिले। मैक्सिको में 43 और अमेरिका में 27 फीसदी कर्मचारी 5 दिन काम करना पसंद करेंगे।