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किसान आंदोलन 75वां दिनः जानें क्या है कृषि कानूनों में प्रावधान, किसानों को क्या है डर और सरकार की क्या है दलील

तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 75वां दिन है। किसान तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि कृषि कानून वापस नहीं होंगे। वह इन कानूनों में सुधार करने के लिए तैयार है। इस मुद्दे पर सरकार तथा किसानों के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है। आइए बताते हैं कि क्या है इन तीन कृषि कानूनों में प्रावधान और किसानों को क्या है डर?

क्या है किसानों के आंदोलन करने की वजह?
मोदी सरकार संसद के मानसून सत्र में कृषि से जुड़े तीन कानून लेकर आई थी। ये तीन कानून हैं: कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन-कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020। ये तीनों कानून संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद कानून बन चुके हैं।

सरकार का क्या कहना है?

  • अभी तक जो पता चला है, उसके मुताबिक सरकार तीनों कानूनों को वापस नहीं लेने वाली। सरकार का दावा है कि इन कानूनों का पास होना एक ऐतिहासिक फैसला है और इससे किसानों की जिंदगी बदल जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी ने इन कानूनों को आजादी के बाद किसानों का एक नई आजादी देने वाला बताया है। मोदी का कहना है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का फायदा नहीं मिलने की बात गलत है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी इन कानूनों को महत्वपूर्ण, क्रांतिकारी और किसानों के लिए फायदेमंद बताया था।
  • हालांकि, उनकी ही सरकार में सहयोगी रही शिरोमणि अकाली दल ने इन कानूनों को लेकर चिंता जताई है। अकाली दल से सांसद और कैबिनेट मंत्री हरसिमरत कौर ने इन कानूनों के विरोध में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। बाद में अकाली दल भी NDA से 22 साल बाद अलग हो गई।
  • कानून में क्या हैं प्रावधान?
  • कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020
    इस कानून में किसानों और कारोबारियों को मंडी के बाहर फसल बेचने की आजादी देने के लिए इकोसिस्टम बनाने का प्रावधान है। इसमें राज्य के अंदर और दो राज्यों के बीच कारोबार को बढ़ावा देने की बात कही गई है। साथ ही मार्केटिंग और ट्रांसपोर्टेशन का खर्च कम करने का जिक्र भी इसमें किया गया है ।
  • कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020– इस कानून में कृषि करारों (एग्रीकल्चर एग्रीमेंट) पर नेशनल फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है। यह कानून कृषि उत्पादों की बिक्री, फार्म सेवाओं, कृषि बिजनेस फर्म, प्रोसेसर्स, थोक और खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ किसानों को जोड़ता है। साथ ही किसानों को क्वालिटी वाले बीज की आपूर्ति करना, फसल स्वास्थ्य की निगरानी, कर्ज की सुविधा और फसल बीमा की सुविधा देने की बात इसमें कही गई है।
  • आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020– इसमें अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट से हटाने का प्रावधान है। सरकार का कहना है कि इससे किसानों को उनकी फसल की सही कीमत मिल सकेगी, क्योंकि बाजार में कॉम्पिटीशन बढ़ेगा।

किसानों को क्या है डर और सरकार का क्या है बचाव?


कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020

  • किसानों को डरः एमएसपी (MSP) न्यूनतम समर्थन मूल्य का सिस्टम खत्म हो जाएगा। यदि किसान मंडियों के बाहर उपज बेचेंगे तो मंडियां खत्म हो जाएंगी। ई-नाम जैसे सरकारी पोर्टल का क्या होगा?
  • सरकार का पक्षः सरकार का कहना है कि पहले की तरह एमएसपी जारी रहेगी। मंडियां खत्म नहीं होंगी, बल्कि वहां भी पहले की तरह ही कारोबार होता रहेगा। सरकार के मुताबिक नई व्यवस्था से किसानों को मंडी के साथ-साथ दूसरी जगहों पर भी फसल बेचने का विकल्प मिलेगा। मंडियों में ई-नाम ट्रेडिंग जारी रहेगी।

कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020

  • किसानों को डरः कॉन्ट्रैक्ट या एग्रीमेंट करने से किसानों का पक्ष कमजोर होगा। किसान कीमत तय नहीं कर पाएंगे। छोटे किसान कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कैसे करेंगे? विवाद की स्थिति में बड़ी कंपनियों को फायदा होगा।
  • सरकार का पक्षः किसानों को पूरी आजादी होगी कि  कॉन्ट्रैक्ट करना है या नहीं। किसान अपनी इच्छा से दाम तय कर फसल बेच सकेंगे। देश में 10 हजार एफपीओ (FPO) यानी फार्मर्स प्रोड्यूसर ग्रुप्स बन रहे हैं। ये एफपीओ छोटे किसानों को जोड़कर फसल को बाजार में सही कीमत दिलाने का काम करेंगे। विवाद की स्थिति में किसानों को कोर्ट-कचहरी जाने की जरूरत नहीं होगी। स्थानीय स्तर पर ही विवाद निपटाया जाएगा।

आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020

  • किसानों को डरः बड़ी कंपनियां आवश्यक वस्तुओं का स्टोरेज करेगी। इससे कालाबाजारी बढ़ेगी।
  • सरकार का पक्षः इससे किसान की फसल खराब होने की आंशका दूर होगी। वह आलू-प्याज जैसी फसलें बेफिक्र होकर उगा सकेगा। एक सीमा से ज्यादा कीमतें बढ़ने पर सरकार के पास उस पर काबू करने की शक्तियां तो रहेंगी ही,  इंस्पेक्टर राज और भ्रष्टाचार भी खत्म होगा।

 

Shobha Ojha

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