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लाइफस्टाइल

लंबे समय तक जीने की हसरतः डेव एस्प्रे ने अपने शरीर के बोन मैरो से स्टेम सेल निकलवाकर करवाया ट्रांसप्लांट, 180 साल तक जीने की है चाहत

लोगों की तरह-तरह की हसरतें होती है। कोई खूबसूरत दिखना चाहता, तो बॉली बिल्डर बनने के लिए पसीने बहाता है। अब लोग लंबे समय तक जिंदा रहने की चाहत को पूरा करने की कवायद में जुट गए हैं। इसी कड़ी में अमेरिका के कारोबारी और न्यूयॉर्क टाइम्स के बेस्टसेलिंग राइटर डेव एस्प्रे ने अपने शरीर के बोन मैरो से स्टेम सेल निकलवाकर ट्रांसप्लांट करवाया है।

47 वर्षीय एस्प्रे 2153 तक जीना चाहते हैं और इसके लिए उन्होंने चिकित्सा का सहारा लिया है। एस्प्रे के शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक को उल्टा घुमाने के लिए की गई बायोहैकिंग के पीछे उनकी 180 साल जिने की आकांक्षा है। एस्प्रे दावा है कि यह तरीका भविष्य में मोबाइल फोन की तरह चलन में आ जाएगा। एस्प्रे अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए कोल्ड क्रायोथैरेपी चैंबर और विशेष तौर से उपवास का तरीका भी अपना रहे हैं। एस्प्रे का कहना है कि अगर 40 से कम उम्र का व्यक्ति इस तरीके को अपना लें तो वह हंसी खुशी से 100 साल तक एक्टिव बने रह जी सकता है।

शरीर के पूरे सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए एस्प्रे तकनीकों पर 7.4 करोड़ रुपए खर्च कर चुके हैं। उन्होंने कहा है कि मैंने भोजन पर नियंत्रण कर, सोने का तरीका बदलकर और बुढ़ापा रोकने वाले तरीके अपनाकर अपने शरीर को ऐसा बना लिया है कि शरीर में कम से कम जलन हो।

एस्प्रे ने स्टेम सेल ट्रांसप्लांट करवाने के बारे बताते हुए कहा कि जब हम जवान होते हैं, तो शरीर में करोड़ों स्टेम सेल होती हैं, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ स्टेम सेल खत्म होने लगती हैं। इसलिए मैं अंतराल से भोजन और उपवास का तरीका अपनाता हूं। उनका कहना है कि जब शरीर भोजन नहीं पचा रहा होता है, तो वह खुद की मरम्मत करता है। वह क्रायोथैरेपी पर भी भरोसा करते हैं।

आपको बता दें कि क्रायोथैरेपी को कोल्ड थेरेपी के नाम से जाना जाता है। क्रायोथैरेपी शरीर के क्षतिग्रस्त ऊतकों का कम तापमान से इलाज करने की प्रक्रिया है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक मार्क एलन स्टेम सेल के जरिए उम्र से जुड़ी जटिलताओं को कम करने के लिए कंपनी बनाया है और वह इस पर काम शुरू कर चुके हैं। वहीं हार्वर्ड की ही स्टेम सेल एंड रिजनरेटिव बायोलॉजी की प्रो. एमी वैगर्स भी इस बारे में स्टडी कर रही हैं। वह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि प्रोटीन किस तरह उम्र बदल सकते हैं।

तिब्बत में ट्रैकिंग करते हुए एस्प्रे की तबीयत खराब हो गई थी। यह घटना 17 साल पहले घटित हुई थी। उस समय उन्हें याक के दूध की चाय पिलाई गई थी। इससे उन्हें नई ऊर्जा महसूस हुई। इसके बाद उन्होंने अमेरिका में बुलेटप्रूफ कॉफी लॉन्च की। यह एमसीटी तेल और मक्खन से बनाई जाती है। इस कॉफी को सुबह के समय में पीने से वजन कम होता है।

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