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शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की याचिका को कोर्ट ने किया स्वीकार, संबंधित पक्षों को भेजा नोटिस - Prakhar Prahari
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शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की याचिका को कोर्ट ने किया स्वीकार, संबंधित पक्षों को भेजा नोटिस

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू होते ही मथुरा और काशी के मामले गरमाने लगे थे. अब एक बार फिर से मथुरा की कृष्ण जन्मभूमि पर बनी शाही ईदगाह मस्जिद और काशी की ज्ञानवापी मस्जिद को हटाने का मांग तेज हो गई है. ऐसे में मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने को लेकर कोर्ट में दायर याचिका स्वीकार कर ली गई है.

मथुरा के कटरा केशवदेव मंदिर परिसर में श्रीकृष्ण जन्मस्थान के नजदीक स्थित 17वीं सदी की मस्जिद को हटाने का अनुरोध करने वाली एक और याचिका स्वीकार कर ली गई है. मथुरा की एक अदालत ने शाही ईदगाह मस्जिद प्रबंधन समिति एवं अन्य को याचिका पर अपना-अपना पक्ष रखने का आदेश देते हुए नोटिस जारी किया है. जिला राजकीय अधिवक्ता संजय गौड़ ने बताया कि एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज देवकांत शुक्ला ने याचिका स्वीकार करते हुए नोटिस जारी किया है.

गौड़ ने बताया कि अदालत ने कहा कि वाद स्वीकार्य करने योग्य है, इसलिए यह विस्तृत सुनवाई के लिए स्वीकार किया जाता है. उन्होंने बताया, इस मामले में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन, शाही ईदगाह प्रबंधन समिति के सचिव, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के प्रबंधन न्यासी व श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव को समन जारी कर आठ मार्च तक जवाब दाखिल करने को कहा गया है. यह याचिका पुराने केशवदेव मंदिर के देवता ठाकुर केशव देव जी महाराज विराजमान की ओर से उनके सेवायत पवन कुमार शास्त्री उर्फ पवन कुमार गोस्वामी ने दायर की है.

दरअसल, सेवायत शास्त्री ने याचिका में तीन अनुरोध किए हैं, जिसके तहत शाही ईदगाह मस्जिद वाली जमीन सहित कटरा केशव देव मंदिर परिसर के संपूर्ण 13.7 एकड़ जमीन पर दावा किया गया है. शास्त्री ने मंदिर परिसर के प्रबंधन को अधिकार देने के अनुरोध किया है, उनका दावा है कि उनके पूर्वज पुजारी के तौर पर दशकों से भगवान की सेवा कर रहे हैं और इस प्रकार मंदिर का वास्तविक सेवायत होने की वजह से विरासत में यह अधिकार मिला है. उन्होंने वर्ष 1967 में मथुरा की अदालत के उस फैसले को रद्द करने की मांग की है, जिसने श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान एवं शाही ईदगाह प्रबंधन समिति के बीच हुए समझौते का अनुमोदन किया और जिसके तहत मंदिर के नजदीक मस्जिद को बनाए रखने की अनुमति दी गई.

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