तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 73वां दिन है। आज दोपहर 12 से 3 बजे तक देशभर में किसान चक्काजाम करेंगे। चक्काजाम का ऐलान 40 किसान संगठनों ने किया है। किसान संगठनों ने दावा किया है कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहेगा। इस दौरान जरूरी सेवाओं जैसे एंबुलेंस, स्कूल बस को नहीं रोका जाएगा। वहीं दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR), उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को किसानों ने इस जाम से अलग रखा है।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि दिल्ली में तो हर दिन जाम जैसे हालात रहते हैं, ऐसे में यहां जाम की क्या जरूरत है, लेकिन उन्होंने यूपी और उत्तराखंड को जाम से अलग रखने की वजह नहीं बताई। उन्होंने इतना जरूर कहा कि इन दोनों राज्यों के किसानों को स्टैंडबाई पर रखा गया है और उन्हें किसी भी समय बुलाया जा सकता है।
उधर, दिल्ली में 26 जनवरी को हुई हिंसा से सबक लेते हुए इस बार प्रशासन ज्यादा अलर्ट है। किसी तरह की अप्रिय घटना को घटित होने से रोकने के लिए दिल्ली तथा एनसीआर में पुलिस, पैरामिलिट्री और रिजर्व फोर्स के 50 हजार जवानों को तैनात किया गया है। साथ ही दिल्ली में तैनात सीआरपीएफ (CRPF) यानी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की सभी यूनिट्स से अपनी बसों पर लोहे की जाली लगा लगाने के लिए कहा गया है , ताकि पथराव की स्थिति में बचा जा सके। पुलिस ने दिल्ली के 12 मेट्रो स्टेशन को अलर्ट जारी किया है। यहां एंट्री और एग्जिट पॉइंट पर सुरक्षाबल तैयार हैं। यदि हिंसा हुई तो कुछ मेट्रो स्टेशन बंद भी किए जा सकते हैं। आपको बता दें कि दिल्ली में कुल 285 मेट्रो स्टेशन हैं।
संसद में एक फरवरी को पेश किए आम बजट में किसानों की मांग की अनदेखी करने तथा दिल्ली की सीमा पर किसानों आंदोलन की जगहों पर इंटरनेट सेवा किए जाने के विरोध में किसानों ने चक्काजाम का ऐलान किया है।
उधर, आंदोलन को मजबूती देने के लिए उत्तर प्रदेश और राजस्थान में किसान पंचायतों का सिलसिला शुरू हो गया है। शुक्रवार से शुरू हुआ यह सिलसिला फरवरी के आखिर तक चलेगा। इनका आयोजन आरएलडी (RLD) यानी राष्ट्रीय लोक दल की ओर से किया जा रहा है। आरएलडी ने पिछले हफ्ते किसान आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान किया था।
नए कृषि कानूनों को वापल लेने को लेकर शुक्रवार को लोकसभा में विपक्षी दलों जमकर हंगामा तथा नारेबाजी की। हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दिनभर में दो बार स्थगित करनी पड़ी।इससे पहले नौ विपक्षी दलों के 12 सांसदों ने गुरुवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को चिट्ठी लिखकर कृषि कानूनों पर सदन में अलग से चर्चा की मांग रखी थी।
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