अब अगर कोई राष्ट्रीय राजमार्ग में यात्रा के दौरान दुर्घटनाग्रस्त होकर घायल हो जाता है तो उसका सरकार कैशलेस इलाज कराएगी। तो आइए जानते हैं क्या है ये कैशलेस इलाज और कैसे मिलेगी ये सुविधा।
केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग सचिव गिरिधर अरमाणे ने आज यहां एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना के क्रियान्वयन की दिशा में बीमा आदि कंपनियों के लिए टेंडर जारी हो गये हैं। उन्होंने बताया कि दुर्घटना में घायल होने पर किसी भी आपातकालीन नंबर पर सूचना प्राप्त होते ही निकटतम उपलब्ध एंबुलैंस कम से कम समय में पीड़ित या पीड़ितों को निकटस्थ अस्पताल में पहुंचाएगी और वहां डॉक्टर बिना कुछ पूछे तत्काल उपचार आरंभ कर देंगे और जब तक पीड़ित की स्थिति स्थिर एवं खतरे से बाहर हो जाये तब तक उपचार किया जाएगा और उसके पश्चात अन्य अस्पताल में पीड़ित की अपनी बीमा पॉलिसी के हिसाब से उपचार दिया जाएगा।
अरमाणे के अनुसार आपात स्थिति में पीड़ित के उपचार के लिए वाहन की थर्ड पार्टी बीमा पॉलिसी में प्रावधान किया जाएगा। यदि पीड़ित के पास किसी प्रकार का बीमा कवर नहीं होगा, तो उसे प्रधानमंत्री जनारोग्य योजना आयुष्मान भारत के तहत उपचार दिया जाएगा। सचिव ने यह भी बताया कि केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर एंबुलैंस की सुविधा मुहैया कराने के लिए कदम उठाये हैं और राज्य सरकारों से भी कहा है कि वे उनके लोकनिर्माण विभागों द्वारा निर्मित सड़कों पर भी एंबुलैंस की सुविधा मुहैया करायें और पीड़ितों के कैशलेस उपचार की व्यवस्था करें ताकि प्रत्येक सड़क पर यह सुविधा उपलब्ध हो। उन्होंने कहा कि सरकार का मकसद है कि सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों का आंकड़ा न्यूनतम हो।
एक सवाल पर उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों के ढाई प्रतिशत हिस्से के पांच हजार से अधिक ब्लैक स्पॉट को ठीक करने के लिए तेजी से काम किया गया है और करीब तीन चौथाई ब्लैक स्पॉट को दुरुस्त किया जा चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि वाहनों में ड्राइवरों के अलावा यात्रियों की सीट पर भी एयरबैग लगाये जाने का निर्णय लिया गया है। राजमार्गों पर वे-साइड सुविधाएं बढ़ायी जाएंगी ताकि चालकों को आराम करने एवं खानेपीने की सुविधा मिलेगी। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से चालकों के व्यवहार को सुधारने के प्रयास भी हो रहे हैं।