इंडिगो मैनेजर रूपेश सिंह के हत्यारे ने कहा- कार से टक्कर मारी थी, इसलिए मार डाला

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पटना. इंडिगो एयरलाइंस के पटना एयरपोर्ट स्टेशन मैनेजर रूपेश सिंह हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने का दावा पटना पुलिस ने किया है। जानकारी के मुताबिक, रूपेश की हत्या रोडरेज को लेकर हुई थी। याद रहे कि इस हत्याकांड के बाद बिहार की सियासत में उबाल आ गया था। नई नवेली नीतीश सरकार के शासन की तुलना जंगलराज से होने लगी थी। पटना के एसएसपी उपेंद्र शर्मा ने बताया कि जब पुलिस की टीम इस केस को सुलझाने बैठी तो कई बार लगा कि ये मामला या तो हाई प्रोफाइल है या फिर ऐसा जिसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता।

बहरहाल, 20 दिन की जांच के बाद पुलिस ने हत्यारोपी को दबोचा तो सारा सच सामने आया। उसने बताया कि नंवबर में छठ के आसपास राजवंशी नगर से पहले रूपेश की कार की टक्कर उसके बाइक से हुई थी। उस वक्त दोनों में बहस हुई थी और मारपीट की नौबत आ गई थी। तभी से आरोपी ने रूपेश की कार का पीछा करना शुरू कर दिया था। वह इस अपमान का बदला लेना चाहता था।

पुलिस के मुताबिक आरोपी ऋतुराज को इस वारदात से पहले ये मालूम नहीं था कि रूपेश कौन है। हत्याकांड के अगले दिन अखबारों के माध्यम से उसे पता चला कि रूपेश पटना एयरपोर्ट पर इंडिगो का स्टेशन हेड था। पुलिस ने उसे पटना के आरके नगर से दबोचा हैं। उसके तीन साथियों की तलाश जारी है। ऋतुराज के आपराधिक रिकॉर्ड की भी जानकारी जुटायी जा रही है।

यह भी जानकारी सामने आ रही है कि ऋतुराज आदतन बाइक चोर है। उसके मुहल्ले के लोगों ने बताया कि वह हर 15 से 20 दिन के बाद अपना बाइक बदल लेता था। वैसे उसके घर की माली हालत काफी ठीक है। ऋतुराज के पिता ईंट भट्ठा के मालिक हैं। आरोपी ने कबूल किया है कि रूपेश की एमजे हेक्टर गाड़ी के साथ एयरपोर्ट रोड में हुई रोडरेज्ड की घटना के कारण उसकी हत्या कर दी। रूपेश की हत्या करने से पहले कई दिनों तक रेकी भी की थी और चार बार प्रयास किया था, लेकिन मर्डर करने में सफलता पांचवीं बार में मिली।

राजस्थान से पढ़ाई कर चुका ऋतुराज गाड़ियों का शौकीन है और यही कारण है कि वो बाइक चोरी करने लगा। पुलिस ने उसके पास से घटना में प्रयुक्त बाइक, हथियार सहित अन्य सबूत बरामद किया है। रूपेश हत्याकांड को भी उसने चोरी की ही बाइक से अंजाम दिया था। पुलिस के मुताबिक हत्या में शामिल अन्य तीन आरोपियों की गिरफ्तारी भी जल्द कर ली जाएगी और उनकी सरगर्मी से तलाश है। इस केस की जांच के दौरान एसआईटी, सीआईडी समेत बिहार पुलिस की अलग-अलग टीमों ने 200 से भी अधिक लोगों से पूछताछ की थी।

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