किसान आंदोलन को लेकर अंतरराष्ट्रीय हस्तियों द्वारा की गई टिप्पणी पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है। सरकार ने किसान आंदोलन लेकर की गई टिप्पणियों काे गैरजिम्मेदाराना करार दिया है और सलाह दी है कि ऐसे आंदोलनों को भारत की लोकतांत्रिक राजनीति के संदर्भ में देखा जाना चाहिए।

विदेश मंत्रालय ने बुधवार को यहां बयान जारी कर कहा कि भारत की संसद ने कृषि क्षेत्र में सुधार लाने वाले वाले कानून बहस एवं परिचर्चा के बाद बनाए हैं। ये सुधार किसानों के लिए अधिक विकल्प और बाजार तक सीधी पहुंच सुनिश्चित करते हैं और इससे आर्थिक रूप से लाभकारी कृषि का भी मार्ग प्रशस्त होता है। मंत्रालय ने  कहा कि भारत के कुछ हिस्सों में किसानों के एक छोटे से वर्ग को इन सुधारों पर कुछ आपत्तियां हैं। प्रदर्शनकारियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए सरकार ने उनके प्रतिनिधियों के साथ कई बैठकें की हैं। इस बातचीत में केेन्द्रीय मंत्री  शामिल हैं और अब तक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है। सरकार ने किसानों को कानूनों को लंबित रखने का भी प्रस्ताव किया है और यह प्रस्ताव प्रधानमंत्री की ओर से आया है।

मंत्रालय ने कहा कि इन सबके बावजूद यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ तुच्छ स्वार्थी समूह अपना एजेंडा आंदोलनकारियों पर थोपने और आंदोलन को विफल करने की कोशिश कर रहे हैं। इसकी पुष्टि 26 जनवरी को देश के गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में घटित घटना से होती है।  देश की राजधानी में हिंसा एवं तोड़फोड़ की गई। इन्हीं स्वार्थी समूहों में से कुछ भारत के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। इन्हीं तत्वों के उकसावे पर विश्व के कई हिस्सों में महात्मा गांधी की प्रतिमाओं को अपवित्र किया गया। यह भारत और विश्व के समस्त सभ्य समाज के लिए बहुत ही दुखद स्थिति है।

विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत के पुलिस बल ने बहुत ही संयम से इन प्रदर्शनों का सामना किया। सैकड़ों पुलिसकर्मियों पर हमले किए गयए और कुछ मामलों में उन्हें धारदार हथियारों से जख्मी किया गया। मंत्रालय ने कहा कि हम बताना चाहते हैं कि इन आंदोलनों एवं प्रदर्शनों को भारत की लोकतांत्रिक राजनीति एवं मूल्यों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए तथा सरकार एवं संबंधित किसान समूह इस गतिरोध को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं।

मंत्रालय ने कहा कि हम अपील करते हैं कि ऐसे मामलों में टिप्पणी करने से पहले मुद्दे को अच्छी तरह से समझना चाहिए। सोशल मीडिया में सनसनीखेज टिप्पणियों से सार्वजनिक जीवन में ख्यातिप्राप्त हस्तियों को प्रभावित होना ना तो उचित है और ना ही जिम्मेदाराना।

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