बजट की अगवानी में 500 अंक उछला सेंसेक्स, निफ्टी ने भी 136 अंकों की लगाई छलांग

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Nirmala sitharaman
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (फाइल फोटो)

नई दिल्ली. इस बार बजट पेश होने से पहले पिछले छह कारोबारी सत्रों में घरेलू शेयर बाजार में लगातार गिरावट आई। इस वजह से निवेशकों की करीब 11.58 लाख रुपये की रकम डूब गई है। पिछले छह कारोबारी सत्रों में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स करीब 3500 अंक टूट चुका है। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी करीब 1010.10 अंक टूट चुका है। 21 जनवरी को सेंसेक्स 50 हजार की रिकॉर्ड ऊंचाई को पार कर गया था लेकिन इसके बाद निवेशकों ने भारी मुनाफावसूली की। अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि बजट में हुई घोषणाओं का शेयर बाजार पर क्या असर पड़ता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही ये कह चुकी हैं कि ये बजट सदी का सबसे अच्छा बजट होगा। शेयर बाजार को इस बार के बजट से बहुत सारी उम्मीदें भी हैं, क्योंकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पहले ही ये कह चुकी हैं कि ये बजट सदी का सबसे अच्छा बजट होगा।

ऐसे रहे उतार-चढ़ाव-
सुबह 9:40 बजे बजट से पहले बाजार की शुरुआत बढ़त के साथ हुई है। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में तेजी है। सेंसेक्स 440 अंकों से ज्यादा की तेजी के साथ 46,728 के स्तर पर कारोबार कर रहा है तो वहीं निफ्टी में भी 130 अंकों की बढ़त है। 10 मिनट बाद बाजार ऊपरी स्तर से थोड़ा नीचे आ गया। सेंसेक्स 214 अंक ऊपर कारोबार करने लगा। वहीं निफ्टी 13680 के आसपास रहा। 10:16 बजते-बजते सेंसेक्स में 452 और निफ्टी में 118 अंकों की तेजी देखी गई। आधे घंटे बाद सेंसेक्स 541 अंकों की तेजी के साथ 46,826 पर कारोबार कर रहा है। वहीं निफ्टी भी 136 अंकों की तेजी के साथ 13,770 पर कारोबार कर रहा है।

मोटे तौर पर देखा जाए तो पिछले सात साल में बजट के बाद 4 बार सेंसेक्स में गिरावट आई है। यह 4 फीसदी तक गिरा है। तीन बार यह चढ़ा है। बजट के बाद इसमें 7 फीसदी तक उछाल भी आई है। बजट के दिन की बात करें तो मोदी सरकार के 7 बजट में से 5 बार शेयर बाजार में गिरावट आई है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि साल 2021 ऐतिहासिक साल होने जा रहा है, जिसपर देश की नजर है। मुश्किल के इस वक्त में भी मोदी सरकार का फोकस किसानों की आय दोगुनी करने, विकास की रफ्तार को बढ़ाने और आम लोगों को सहायता पहुंचाने पर है। मोदी सरकार की ओर से आत्मनिर्भर भारत पैकेज, कई योजनाओं को कोरोना काल में देश के सामने लाया गया, ताकि अर्थव्यवस्था की रफ्तार को आगे बढ़ाया जा सके। आत्मनिर्भर भारत पैकेज में कुल 27.1 लाख करोड़ रुपये की मदद जारी की गई. ये सभी पांच मिनी बजट के समान थी।

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