नई दिल्ली. मोदी सरकार ने वैसे लोगों पर इस बजट माध्यम से नजर रखी है, जिनकी सैलरी ज्यादा है और उनकी पीएफ राशि भी ज्यादा जमा होती है। वैसै बता दें कि अधिकतर लोगों को यह पता भी नहीं होता है कि कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) क्या चीज है, इसके सहारे कैसे और कितनी बचत की जा सकती है, इसके क्या-क्या अन्य फायदे हैं तथा कौन-कौन से लोग इसके दायरे में आते हैं और कौन-कौन से लोग नहीं। और जो जानते हैं, वे इसमें मुनाफे के हर रास्ते ढूंढ ही लेते हैं। वैसे लोग अब तक लोग टैक्स-फ्री हेवेन के तौर पर पीएफ का इस्तेमाल करते थे, पर इस बजट ने वो छूट खत्म कर दी है। एक साल में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा प्रोविडेंट फंड जमा करने पर मिलने वाला ब्याज अब टैक्स के दायरे में आएगा। इससे हाई-इनकम सैलरीड लोग सीधे तौर पर प्रभावित होंगे, जो टैक्स फ्री इंट्रेस्ट कमाने के लिए वॉलंटरी प्रोविडेंट फंड का इस्तेमाल करते थे।
पिछली बार की नाराजगी इस प्रस्ताव के कारण कुछ कम हो सकती है, क्योंकि इसके दायरे में उच्च पदों पर काम कर रहे लोग ही प्रभावित होंगे। मध्यम श्रेणी के लोगों का आक्रोश कम हो सकता है। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि 2.5 लाख रुपये वार्षिक सीमा का मतलब यह है कि पीएफ (हर महीने 1.73 लाख रुपये तक बेसिक सैलरी) में कर्मचारी हर महीने 20,833 रुपये का अंशदान करे तो टैक्स से बचता है। अब इतनी सैलरी किसकी हो सकती है, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
उधर, 1 अप्रैल से नया वेज कोड भी आने वाला है, जिसमें निर्धारित किया गया है कि बेसिक सैलरी व्यक्ति की कुल आय का कम से कम 50 प्रतिशत होना चाहिए। इसका मतलब है कि ज्यादा बेसिक सैलरी के साथ स्ट्रक्चर बदलेगा और ऐसे में अपने आप पीएफ में योगदान बढ़ेगा।