नेपीडॉ. पड़ोसी देश म्यांमार में एक बार फिर से सैन्य तख्तापलट हुई है। सेना ने सोमवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए प्रमुख नेता आंग सांग सू की, राष्ट्रपति विन म्यिंट और सत्तारूढ़ पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में ले लिया है। सड़कों पर भारी संख्या में सैनिक तैनात हैं और फोन लाइनों को बंद कर दिया गया है। सैन्य कार्रवाई के बीच सोमवार सुबह से ही राजधानी नेपीडॉ में फोन लाइन काम नहीं कर रही हैं। इसके अलावा, मीडिया संगठनों को भी ब्रॉडकास्ट में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
यह कार्रवाई सोमवार अल सुबह छापेमारी के बाद हुई। सत्तारूढ़ पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी के प्रवक्ता ने इस सैन्य कार्रवाई की जानकारी दी है। म्यांमार की सेना ने यह कदम सरकार से बढ़ते तनाव के बाद उठाया है। बता दें कि देश के चुनाव में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आंग सांग सू-की की पार्टी की जबरदस्त जीत के बाद आज से म्यांमार की संसद शुरू होने वाली थी। सेना पार्टी की इस जीत से नाराज चल रही थी।
सेना ने देश को अपने कब्जे में ले लिया है और एक साल के लिए आपातकाल घोषित कर दिया है। पूर्व जनरल तथा उपराष्ट्रपति मिंट स्वे को कार्यकारी राष्ट्रपति बनाया गया है। उन्हें सेना प्रमुख का भी दर्जा दिया गया है। बताया जा रहा है कि किसी भी विरोध को कुचलने के लिए सड़कों पर सेना तैनात है और फोन लाइनों को बंद कर दिया गया है। इस संबंध में सेना की तरफ से अभी कोई बयान नहीं आया है।
भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा कि म्यांमार की घटनाएं चिंताजनक हैं। भारत ने कहा कि हम कानून के शासन में विश्वास करते हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को आवश्यक रूप से बरकरार रखा जाना चाहिए। इस बीच ऑस्ट्रेलिया ने भी बयान जारी करके म्यांमार में सैन्य तख्तापलट पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है।
गौरतलब है कि म्यांमार में 1962 में तख्तापलट किया गया था, जिसके बाद 49 साल तक सेना का शासन रहा। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि यंगून शहर में हर तरफ सेना को तैनात कर दिया गया है। इससे पहले तख्तापलट की साजिश पर अपना रुख साफ करते हुए सेना ने कहा था कि वह संविधान की रक्षा करेगी और कानून के मुताबिक ही काम करेगी। हालांकि, अब उसकी कार्रवाई से लग रहा है कि म्यांमार में तख्तापलट होना तय है।
इस बीच अमेरिका ने म्यांमार की सेना के ऐक्शन पर गहरी चिंता जताई है। राष्ट्रपति कार्यालय वाइट हाउस की प्रवक्ता जेन पास्की ने कहा कि अमेरिका उन रिपोर्टों से चिंतित है कि म्यांमार की सेना ने देश के लोकतांत्रिक बदलाव को खोखला कर दिया है और आंग सांग सू की को अरेस्ट कर लिया है। इस घटना के बारे में राष्ट्रपति जो बाइडेन को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने जानकारी दी है। जेन पास्की ने कहा कि हम म्यांमार की लोकतांत्रिक ताकतों को समर्थन देते रहेंगे और सेना से अपील करेंगे कि सभी हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा किया जाए। अमेरिका चुनाव परिणाम को बदलने या लोकतांत्रिक बदलाव में बाधा डालने के किसी भी प्रयास का विरोध करता है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर आज उठाए गए कदमों को वापस नहीं लिया गया तो अमेरिका कड़ी कार्रवाई करेगा। जेन ने कहा कि अमेरिका म्यांमार के लोगों के साथ खड़ा है और पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए है।