जबसे दुनिया में कोरोना वायरस महामारी आई, तबसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) विवादित बयानों को लेकर घिरता आया है. अपनी खुद की सलाह को पलटते हुए डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि अब गर्भवती महिलाएं कोरोना वायरस की वैक्सीन लगवा सकती हैं.
डब्ल्यूएचओ ने कहा है, ‘फिर भी वैक्सीन को लेकर अभी तक जो जानकारी है, उसके हिसाब से हमारे पास कोई ऐसा कारण नहीं है, जिससे ये माना जा सके कि गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन से फायदे से ज्यादा खतरा हो सकता है. इसी वजह से जिन गर्भवती महिलाओं को (जैसे स्वास्थ्यकर्मी) SARS-CoV-2 से ज्यादा खतरा है या फिर अन्य बीमारियां हैं, वह डॉक्टर की सलाह पर वैक्सीन लगवा सकती हैं.’
इससे पहले डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों ने कहा था कि गर्भवती महिलाओं को फाइजर और बायोएनटेक की वैक्सीन नहीं लगवाने की सलाह दी जाती है, जब तक ये साबित ना हो कि उन्हें संक्रमण होने का अधिक खतरा है. इससे पहले इजरायल के स्वास्थय मंत्रालय ने गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन लगाने की सलाह दी थी. क्योंकि वहां पैदा होने वाले बच्चे बीमार हो रहे थे. कई मामलों में मां और बच्चे की जान को खतरा होने के कारण सीजेरियन तक किया गया, जिनमें बच्चों का जन्म समय से पूर्व हुआ है.
मंत्रालय ने कहा था कि जिन गर्भवती महिलाओं का 29 से 40वां हफ्ता चल रहा है, उन्हें वैक्सीन लगाई जा सकती है. लेकिन जिन महिलाओं को गर्भवती हुए 12 हफ्ते पूरे नहीं हुए, उन्हें तब तक वैक्सीन ना लगाई जाए, जब तक संक्रमण होने का खतरा ना हो. ऐसा इसलिए भी कहा गया क्योंकि वैक्सीन से अगर महिला को कुछ नुकसान होता है, तो इसका प्रभाव बच्चे पर पड़ सकता है और गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है.
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने भी ये बात कही थी कि गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन दी जानी चाहिए क्योंकि कोविड-19 होने के बाद उनकी हालत गंभीर होने या मौत का खतरा बढ़ जाता है. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने एक बयान में कहा था, ‘जो लोग गर्भवती हैं और उस समूह का हिस्सा हैं, जिन्हें कोविड-19 वैक्सीन दी जाएगी, उन्हें वैक्सीन लगाने के लिए चुना जाना चाहिए.’