तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों के मुद्दे पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार पर पलटवार किया है। तोमर ने एक बार फिर तीनों कृषि कानूनों Three New Agriculture Laws) के फायदे गिनाए और पवार पर पलटवार करते हुए उनसे अपील की कि वह किसानों के सामने सही तथ्य रखें। आपको बता दें कि पवार (Sharad Pawar) ने शनिवार को कहा था कि तीनों नए केंद्रीय कृषि कानून एमएसपी (MSP) यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बुरा असर डालेंगे और मंडी सिस्टम को कमजोर कर देंगे।
तोमर ने रविवार को ट्वीट कर कहा, “शरद पवार जी वरिष्ठ नेता हैं और पूर्व कृषि मंत्री हैं। उन्हें कृषि से जुड़े मामलों और समाधानों का विशेषज्ञ माना जाता है। उन्होंने खुद भी अपने कार्यकाल के दौरान कई कृषि सुधारों की पहल की थी। वह अपने अनुभव और विशेषज्ञता के आधार पर अपनी बात रखते हैं। तीन कृषि कानूनों पर उनके भ्रामक ट्वीट देखकर अचंभा हुआ। मैं उनके आरोपों पर कुछ तथ्य स्पष्ट करना चाहूंगा।“
केंद्रीय कृषि मंत्री तीनों नए कृषि कानूनों के फायदे गिनाते हुए ट्वीट किया, “नए कानून किसानों के लिए अपनी फसल बेचने के लिए नई व्यवस्था का विकल्प देने वाले हैं। इसके तहत किसान अपनी फसल राज्य के बाहर कहीं भी, किसी को भी आसानी से बेच सकेंगे। इससे उन्हें अपनी फसल की बेहतर कीमत मिल सकेगी। इससे मौजूदा एमएसपी व्यवस्था को कोई नुकसान नहीं होगा।“ उन्होंने कहा, “नई व्यवस्था के तहत मंडियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसके विपरीत इनमें प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और सर्विस और इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में इनमें बचत ही होगी। नए कानूनों के अंतर्गत दोनों व्यवस्थाएं किसानों के हित में साथ-साथ चलती रहेंगी।“
तोमर ने पवार से किसानों को सही बात बताने की अपील करते हुए लिखा, “शरद पवार एक वरिष्ठ नेता हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि उन्हें इसको लेकर गुमराह किया गया है। अब जब उनके पास सही तथ्य हैं, मुझे उम्मीद है कि वह अपना रुख बदलेंगे और इन कानूनों के फायदे किसानों को भी बताएंगे।“
आपको बता दें कि शरद पवार ने शनिवार को ट्वीट कर कहा था कि नए कानून एमएसपी पर फसल खरीद करने के ढांचे पर बुरा असर डालेंगे। इससे मंडी प्रणाली कमजोर हो जाएगी। उन्होंने ट्वीट कर कहा, “सुधार एक सतत प्रक्रिया है और एपीएमसी या मंडी प्रणाली में सुधारों के खिलाफ कोई भी व्यक्ति दलील नहीं देगा, लेकिन इस पर एक सकारात्मक बहस का यह मतलब नहीं है कि यह प्रणाली को कमजोर या नष्ट करने के लिए है। मेरे कार्यकाल के दौरान, विशेष बाजार स्थापित करने के लिए मसौदा एपीएमसी नियमावली-2007 तैयार की गई थी, ताकि किसानों को अपनी उपज बेचेने के लिए वैकल्पिक मंच उपलब्ध कराया जा सके।“
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