भीलवाड़ा.जहरीली शराब के कारोबार के मामले में कामचलाऊ रवैये के कारण धंधा लगातार फलता-फूलता रहता है। कई प्रदेशों में तो यह धंधा एक तरह के कुटीर उद्योग में तब्दील हुआ दिख रहा। शराब के नाम पर जहर बेचने का काम बिना किसी रोक-टोक के चल रहा है। कहने को बंदिशें हैं, अवैध बिक्री घोषित है, लेकिन सब कुछ धड़ल्ले से हो रहा है। अवैध तरीके से बनाई-बेची जाने वाली शराब इसलिए अक्सर जहर का रूप धारण कर लेती है, क्योंकि ज्यादा मुनाफे के लालच में उसे बेहद हानिकारक और अखाद्य सामग्री से बनाया जाता है।
आम तौर पर अवैध शराब के कारोबार से पुलिस प्रशासन और आबकारी विभाग के लोग अवगत ही नहीं होते, बल्कि वे उसे संरक्षण भी प्रदान करते हैं। दुर्भाग्य से यह काम देश के अन्य हिस्सों में भी होता है और इसी कारण रह-रहकर जहरीली शराब के कहर ढाने के समाचार आते ही रहते हैं। चूंकि मरने वाले लोग निर्धन तबके के अधिक होते हैं, इसलिए तात्कालिक तौर पर दिखाई जाने वाली सजगता का जल्द ही लोप हो जाता है और सब कुछ पहले की तरह चलने लगता है।
राजस्थान में भरतपुर के बाद अब भीलवाड़ा में भी जहरीली हथकढ़ शराब का मामला सामने आया है। यहां के माण्डलगढ़ क्षेत्र के सारण का खेड़ा गांव में शराब के सेवन से एक महिला समेत चार जनों की मौत हुई है, जबकि पांच की हालत गंभीर है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आदेश पर इस मामले से संबद्ध लापरवाही बरतने वाले आबकारी एवं पुलिस विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। मृतक के आश्रित परिवारों को मुख्यमंत्री सहायता कोष से दो-दो लाख रूपए एवं उपचाररत लोगों को 50-50 हजार रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की गई है। प्रकरण की प्रशासनिक जांच संभागीय आयुक्त अजमेर को सौंपी गई है। 15 दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करने हैं।
वहीं, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने सरकार को आड़े हाथ लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने ऐसे मामलों को रोकने के लिए कोई ठोस एक्शन प्लान नहीं बनाया है। सरकारी लाइसेंस के समानांतर बड़े पैमाने पर अवैध शराब बेची भी जा रही है। यह पहली घटना नहीं है, रोज ही पुलिस और प्रशासन की नाक के नीचे अवैध शराब निकाली जा रही है।