नई दिल्ली.राजनीति में धनबल और बाहुबल का बोलबाला बढ़ रहा है। मंत्री पद या कोई दूसरे लालच में रातों-रात दल बदलने का चलन बढ़ गया है। ऐसे में पीठासीन अधिकारी (विधानसभा अध्यक्ष) और अदालतें संवैधानिक प्रावधानों के तहत दलबदलुओं को अयोग्य तो ठहरा देते हैं, लेकिन उनके लिए विधान परिषद का पिछला दरवाजा खुल जाता है। सत्ताधारी दल उन्हें बहुमत के बल पर चोर दरवाजे से विधानमंडल में लाने की कोशिश करता है। अपराध एवं अन्य गलत धंधों से जुड़े लोग भी राज्यसभा के रास्ते संसद और विधान परिषद के रास्ते विधानमंडल में प्रवेश कर रसूख के बल पर जनप्रतिनिधि बन जाते हैं, मगर सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि अगर विधायक अयोग्य घोषित हुआ है तो वह मंत्री तभी बन सकता है जब फिर से विधानसभा या विधान परिषद का चुनाव जीतकर आए, न कि मनोनीत होकर।
सीजेआई एसए बोबडे और जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यम की बेंच ने कहा, “अगर आप एमएलए या एमएलसी के रूप में चुने जाते हैं, तो आप सरकार में मंत्री बन सकते हैं, लेकिन यदि आप मनोनीत हैं, तो आप मंत्री नहीं बन सकते। उच्च न्यायालय का फैसला सही है। हम आपकी विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर रहे हैं।
दरअसल, कर्नाटक की राजनीति में सीएम येदियुरप्पा के लिए सिरदर्द बनी एक सीडी फिर चर्चा में है। राज्य में हुए कैबिनेट विस्तार के बाद से एक ओर जहां इस सीडी को लेकर बागी विधायक सीएम येदियुरप्पा पर निशाना साध रहे हैं, वहीं कर्नाटक में कांग्रेस के चीफ डीके शिवकुमार ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी का नाम अब ब्लैकमेल जनता पार्टी हो जाना चाहिए। बीजेपी के कुछ विधायकों का आरोप है कि कर्नाटक में मंत्रिमंडल विस्तार में सीएम ने उन लोगों को मिनिस्टर बनाया, जो इस रहस्यमयी सीडी के कारण उन्हें ब्लैकमेल कर रहे थे। इसी कांड के चलते येदियुरप्पा मंत्रिमंडल में फेर-बदल कर रहे हैं। इसी क्रम में विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए गए एएच विश्वनाथ को आनन-फानन में विधान परिषद भेजकर मंत्री बनाने की कोशिश हो रही थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनके इरादे पर पानी फेर दिया। शीर्ष अदालत का यह फैसला चुनाव सुधार और देश की लोकतांत्रिक राजनीति को साफ-सुथरा करने के दिशा में एक बड़ा और प्रभावी कदम माना जा सकता है।
इन मामलों तक पहुंचती है बात-
1.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नजदीकी लोगों में शुमार पूर्व आईएएस अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा को बीजेपी जॉइन करने के एक दिन बाद ही उत्तर परिषद विधान परिषद चुनाव का उम्मीदवार बना दिया। बीजेपी ने एमएलसी के चार प्रत्याशी घोषित किए, जिनमें दिनेश शर्मा के साथ अरविंद कुमार शर्मा को भी टिकट दिया गया था। अब अरविंद शर्मा यूपी से विधान पार्षद हैं।
2.बिहार में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे अशोक चौधरी ने अपनी पार्टी तोड़कर सत्ताधारी दल जेडीयू का रुख कर लिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चौधरी को मंत्री बना दिया। यही नहीं, जब सन ऑफ मल्लाह कहे जाने वाले मुकेश सहनी इस बार का बिहार विधानसभा चुनाव हार गए तो बीजेपी ने अपने कोटे से उन्हें विधान परिषद भेजकर मंत्री बना दिया।