केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट सत्र के पहले दिन शुक्रवार को संसद में 2020-21 आर्थिक सर्वे पेश किया। सीतारमण द्वारा पेश किए गए सर्वे के अनुसार चालू वित्त वर्ष में जीडीपी (GDP) यानी सकल घरेलू उत्पाद में 7.7 प्रतिशत की गिरावट आने की संभावना है, लेकिन, इसके बाद भी इसमें तीव्र गति से रिकवरी होगी। इसलिए 2021-22 में जीडीपी में 11 फीसदी ग्रोथ रहेगी। आर्थिक सर्वे के अनुसार इसके बावजूद भी अर्थव्यवस्था को कोरोना संकट से पहले  के स्तर तक आने में दो साल लगेंगे।

आपको बता दें कि कोरोना वायरस के मद्देनदर लागू लॉकडाउन से अप्रैल से जून 2020 के दौरान जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई थी। अनलॉक के बाद इसमें सुधार हुआ और  सितंबर तिमाही में गिरावट सिर्फ 7..5 फीसदी रह गई। 2020-21 की पहली छमाही में जीडीपी में 15.7 प्रतिसत की गिरावट रही है।  आर्थिक सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि दूसरी छमाही में यह  0.1 फीसदी रह जाएगी। गिरावट रहेगी।

वित्त मंत्री ने आर्थिक सर्वे पेश करने के दौरान कहा कि इस साल अर्थव्यवस्था  के लिए सबसे बड़ा सहारा खेती ही है, जिसकी विकास दर 3.4% रहने की उम्मीद है। सर्वे के अनुसार जीडीपी मेें इसकी हिस्सेदारी भी बढ़ेगी। 2019-20 में जहां इसकी हिस्सेदारी 17.8 प्रतिशत थी,  इस साल वह बढ़कर 19.9 फीसदी  हो जाएगी। कृषि के अलावा अर्थव्यवस्था के दो सेक्टर और हैंं इंडस्ट्री और सर्विसेज। चालू वित्त वर्ष में इंडस्ट्री में 9.6 प्रतिशत की गिरावट रहने का अंअनुमान हरै। वहीं द सर्विस सेक्टर की ग्रोथ भी -8.8 फीसदी  रहेगी।

वित्त मंत्री सीतारमण द्वारा पेश किए गए आर्थिक सर्वे में नए कृषि कानूनों की तारीफ की गी है। सर्वे के अनुसार नए कानूनों से छोटे किसानों को फायदा होगा। सर्वे में बताया गया है कि किसानों के पास प्रोसेसर, होल सेलर और बड़े रिटेलर्स के साथ सौदा करते समय अधिक अधिकार होंगे। आपको बता दें कि देश में 85 प्रतिशत छोटे किसान ही हैं। इस तरह के आर्थिक सर्वे के अनुसार नए कृषि कानूनों से देश के 85 प्रतिशत किसानों को लाभ होगा।

वहीं आर्थिक सर्वे में हेल्थकेयर पर सरकारी खर्च जीडीपी का 2.5 से बढ़ाकर तीन फीसदी करने की बात कही गई है। हालांकि 2017 की नेशनल हेल्थ पॉलिसी में भी यह लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन अभी यह महज एक प्रतिशत है। है।

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