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बिहार, बंगाल और झारखंड से हो रही है मानव कंकाल की तस्करी, फिर दबोचा गया एक तस्कर - Prakhar Prahari
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बिहार, बंगाल और झारखंड से हो रही है मानव कंकाल की तस्करी, फिर दबोचा गया एक तस्कर

सीतामढ़ी. भारत से हर साल हजारों मानव कंकालों को तस्करी कर नेपाल, चीन और बांग्लादेश भेजा जाता है। कई बार इन कंकालों को अमेरिका, जापान, यूरोप और मध्यपूर्व भी भेजा जाता हैं जहां इनका इस्तेमाल मेडिकल कॉलेजों में होता है। कुछ कंकाल चीन भी भेजे जाते हैं। चीन में इनका कई तरह की दवाइयां बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। वहीं भारत में भी काला जादू करने वाले और तंत्र मंत्र में नर-कंकालों को उपयोग में लाया जाता है।

ताजा मामले में एक और ऐसे ही तस्करी का भंडाफोड़ हुआ है। सीतामढ़ी के मेजरगंज बसबिट्टा में सशस्त्र सीमा बल के 20वीं बटालियन के जवानों ने बुधवार की देर शाम इंडो-नेपाल बॉर्डर के समीप से एक नेपाली नागरिक को मानव हड्डियों के साथ धर दबोचा। पूछताछ में नेपाल के मलंगवा थाना क्षेत्र के सुदामा वार्ड संख्या 9 निवासी राम स्वार्थ महतो ने बताया कि वह पटना गांधी सेतु के नीचे से एक व्यक्ति के सहयोग से नदी किनारे हड्डी एकत्रित कर नेपाल ले जा रहा था। पुलिस उसके साथ इस काम में शामिल लोगों की सूची तैयार कर रही है, ताकि इस प्रकार की तस्करी में लिप्त और भी चेहरे सामने आ सकें। गिरफ्तार व्यक्ति ने बताया कि नेपाल के काठमांडू में उस हड्डी को एक व्यापारी के हाथ बेचना था, जहां उससे 35 से 40 हजार रुपये मिलने वाले थे। बताया कि उन हड्डियों का बांसुरी और बीन बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।

अभी कुछ दिन पहले ही पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिले के एक गांव से पुलिस ने 18 नर कंकाल और हड्डियां बरामद की थी। पुलिस ने इस मामले में चार संदिग्ध तस्करों को गिरफ्तार किया था। बरामद हुए कंकाल और हड्डियां कब्र खोदकर निकाली गई मानी जा रही हैं। पुलिस ने बताया, “इन धुले हुए और साफ सुथरे मानव कंकालों की तस्करी और बेचने की पूरी तैयारी थी और ये मानव कंकाल विदेश भेजे जाने वाले कंकालों के समूह का एक हिस्सा थे।” याद रहे, 2006 में पुलिस ने यहां 20 से अधिक कंकाल बरामद किए थे।

बता दें कि मानवाधिकार समूहों के दबाव के कारण सन 1985 में भारत में मानव हड्डियों के व्यापार पर प्रतिबंध लगाया दिया गया था। तब तर्क दिया गया था कि ऐसा करना मानवता के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन है। कहा जाता है कि प्रतिबंध के पहले कई गरीब परिवार, अंतिम क्रिया-कर्म के खर्चे से बचने के लिये तस्करों को लाश बेच देते हैं। वहीं, कुछ तस्कर मुर्दाघरों से चंद हजार रुपयों में लावारिस लाशों को आसानी से खरीद लेते हैं। पिछले कुछ सालों के दौरान पुलिस ने ऐसे हजारों नर-कंकाल और मानव खोपड़ियां पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड से बरामद की हैं। पुलिस ने साल 2004 में बिहार के गया जिले में फलगू नदी के किनारे तकरीबन 1,000 नर खोपड़ियां बरामद की थीं।

साल 2009 में पुलिस ने बिहार के छपरा जिले की एक बस से 67 मानव खोपड़ियों के साथ एक तस्कर को गिरफ्तार किया था। इस घटना के एक महीने पहले पुलिस ने पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी जिले में एक तस्कर के पास से 27 मानव खोपड़ियां और तकरीबन 100 हड्डियां बरामद की थीं।

Delhi Desk

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