नई दिल्ली. अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने फैसला किया है कि वह आने वाले समय में छह राज्यों में होने वाले चुनावों में हिस्सा लेगी। ये राज्य हैं यूपी, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और गुजरात। दिल्ली में आयोजित आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में बोलते हुए केजरीवाल ने कहा कि ‘आप’ अगले दो वर्षों में इन छह राज्यों में चुनाव लड़ेगी। याद रहे इससे पहले केजरीवाल ने दिसंबर में यूपी विधानसभा का चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा कि साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी हिस्सा लेगी।
गौरतलब है कि बीते वक्त में भी कई लोग सीधे केजरीवाल पर तानाशाही का आरोप लगाकर पार्टी छोड़ गए। उनका कहना था कि पार्टी व्यक्तिवाद की ओर बढ़ चली है, लोकतंत्र किसी एक की मर्जी का गुलाम बन चुका है। आदर्शों पर बेईमानी ने व्यावहारिकता का मुलम्मा ओढ़कर दबाव बना लिया है, लेकिन पार्टी इन आरोपों का सामना कर अपना बचाव करने में कामयाब रही। इस पार्टी के निर्माण से ही देशभर के लोगों के मन में ये बात घर कर गई कि जो भी हो लेकिन केजरीवाल की पार्टी ईमानदारों की टोली है जिसे न सिर्फ बाहर बल्कि अपने घर में भी लोकतंत्र में भी यकीन है लेकिन बीते कुछ दिनों ने ये बात पुख्ता की है कि आम आदमी पार्टी का डीएनए ठीक वैसा ही है जैसा कांग्रेस, बीजेपी, एसपी, बीएसपी का है।
जैसा कि सभी को मालूम है कि आम आदमी पार्टी, संक्षेप में ‘आप’, सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल एवं अन्ना हजारे के लोकपाल आंदोलन से जुड़े बहुत से सहयोगियों द्वारा गठित एक भारतीय राजनीतिक दल है। इसके गठन की आधिकारिक घोषणा 26 नवम्बर 2012 को भारतीय संविधान अधिनियम की 63वीं वर्षगांठ के अवसर पर जंतर मंतर, दिल्ली में की गयी थी। 2011 में इंडिया अगेंस्ट करप्शन नामक संगठन ने अन्ना हजारे के नेतृत्व में हुए जन लोकपाल आंदोलन के दौरान भारतीय राजनीतिक दलों द्वारा जनहित की उपेक्षा के खिलाफ़ आवाज़ उठाई। अन्ना भ्रष्टाचार विरोधी जनलोकपाल आंदोलन को राजनीति से अलग रखना चाहते थे, जबकि अरविन्द केजरीवाल और उनके सहयोगियों की यह राय थी कि पार्टी बनाकर चुनाव लड़ा जाये। इसी उद्देश्य के तहत पार्टी पहली बार दिसम्बर 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में झाड़ू चुनाव चिन्ह के साथ चुनावी मैदान में उतरी। पार्टी ने चुनाव में 28 सीटों पर जीत दर्ज की और कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनाई।
दिल्ली के बाहर अभी तक सफल नहीं-
– यह पहली बार नहीं है जब आम आदमी पार्टी दिल्ली के बाहर अपने पांव पसारने की कोशिश कर रही है। आप ने साल 2017 में पंजाब विधानसभा चुनाव में ताल ठोंकने का फैसला कर लिया था। जोरदार चुनाव प्रचार के बीच आप ने पंजाब में पूर्ण बहुमत लाने का दावा किया था, लेकिन निराशा हाथ लगी।
-गोवा में भी आम आदमी पार्टी ने किस्मत आजमाने की कोशिश की थी। पार्टी गोवा में एक भी सीट नहीं जीत पाई। 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा में पार्टी के एक भी उम्मीदवार नहीं पहुंच सके।
-बीते साल हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने चुनावी ताल ठोकी थी। लेकिन पार्टी का एक भी उम्मीदवार जीत दर्ज करने में सफल नहीं रहा। पार्टी के ज्यादातर प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।
-गुजरात के साल 2017 के विधानसभा चुनाव में उतरने के लिए आम आदमी पार्टी ने जोर-शोर के साथ तैयारी की थी लेकिन जब चुनाव का वक्त आया तो सिर्फ 20 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे। पार्टी को यहां से न सिर्फ एक भी सीट नहीं मिली बल्कि कई प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। कई सीटों पर आप उम्मीदवारों को 400 से भी कम वोट मिले। बहुत कम उम्मीदवारों ने हजार वोटों का आंकड़ा पार किया।
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