भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से रफ्तार पकड़ रही है. अगर ये कहा जाए कि अर्थव्यवस्था कोरोना के झटके से उबर चुकी है तो इसमें कोई संशय की बात नहीं है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने तो इस बात पर मुहर लगा दी है.
आईएमएफ ने अपने ताजा अनुमान में साल 2021 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान बढ़ाकर 11.5 फीसदी कर दिया है. आईएमएफ का कहना है कि ये बदलाव पॉलिसी मोदी सरकार की बेहतर पॉलिसी की वजह से आया है. हालांकि, साल 2020 में चीन एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसकी 2020 में ग्रोथ रेट 2.3 फीसदी रही. आईएमएफ ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में 2022 में 6.8 फीसदी की ग्रोथ और चीन की 5.6 फीसदी रहने का अनुमान है.
जीडीपी को ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं. अगर आसान शब्दों में कहें तो किसी एक साल में देश में पैदा होने वाले सभी सामानों और सर्विसेज की कुल कीमत को जीडीपी कहते हैं.
अर्थशास्त्री बताते हैं कि जीडीपी ठीक वैसी ही है, जैसे किसी स्टूडेंट का सालभर का रिजल्ट आता है. वो रिजल्ट मार्कशीट के जरिए पता चलता है. उसी तरह देश की आर्थिक तरक्की का भी उसी तरह से पता चलता है देश के किस सेक्टर में तरक्की हुई है. किसमें गिरावट आई है.
भारत में सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (सीएसओ) साल में चार बार यानी हर तिमाही में देश के जीडीपी आंकड़े जारी करता है. हर साल यह सालाना जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े जारी करता है.
अर्थशास्त्री बताते हैं कि आम जनता के लिए यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अच्छी ग्रोथ के बाद ही केंद्र सरकार आम योजनाओं के बारे में विचार करती है.
आसान भाषा में कहें तो जीडीपी अगर बढ़ रही है, तो इसका मतलब यह है कि देश आर्थिक स्थिति बेहतर हो रही है और सरकार की ओर से बनाई नीतियां जमीनी स्तर पर अच्छी साबित हो रही है. इससे देश सही दिशा में आगे बढ़ रहा है.
अगर जीडीपी सुस्त हो रही है या निगेटिव दायरे में जा रही है, तो इसका मतलब यह है कि सरकार को अपनी नीतियों पर काम करने की जरुरत है ताकि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद की जा सके.
जीडीपी में तेज आर्थिक ग्रोथ आती है तो विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार में जमकर पैसा लगाते हैं. ऐसे में म्युचूअल फंड्स, शेयर बाजार, बॉन्ड मार्केट के निवेशकों को अच्छे रिटर्न मिलते हैं. इसीलिए सरकार के अलावा कारोबारी, स्टॉक मार्केट इनवेस्टर इन जीडीपी डेटा का इंतजार करते हैं.
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगर देश में ग्रोथ का इंजन तेज है तो कंपनियों की आमदनी भी बढ़ती है और वो ज्यादा मुनाफा कमाती है. साथ ही, विस्तार की योजनाओं पर भी ज्यादा खर्च करती है. ऐसे में कंपनियों को नए कर्मचारियों की भर्ती करनी होती है.
आईएमएफ ने साल 2021 के लिए भारत की जीडीपी विकास दर 11.5 फीसदी तय की है. रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत दुनिया की एकमात्र बड़ी अर्थव्यवस्था है जो 10 फीसदी से ज्यादा की ग्रोथ दिखाएगी. इसके बाद चीन आता है, जिसकी 2021 में 8.1 फीसदी की विकास दर होगी और फिर स्पेन (5.9 फीसदी) और फ्रांस (5.5 फीसदी) के साथ है.
आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर का कहना है कि भारत ने महामारी और उसके आर्थिक नतीजों से निपटने के लिए काफी निर्णायक कदम लिए हैं.