पश्चिम बंगाल में होने वाले चुनाव में सुरक्षा को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

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Supreme court

नई दिल्ली. पश्चिम बंगाल में अगले साल अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं। जैसे-जैसे चुनाव की तारीख करीब आ रही है वैसे-वैसे सियासी रक्तपात भी तेज होता जा रहा है। चुनाव से पहले राज्य की सत्ताधारी पार्टी टीएमसी को बीजेपी से कड़ी टक्कर मिल रही है। गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बंगाल में चुनाव प्रचार की बागडोर संभाले हुए हैं।

जनवरी के बाद खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बंगाल में चुनाव प्रचार करते हुए नजर आएंगे। हालिया घटनाओं के आलोक में देखा जाए तो पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हत्याओं का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है, बंगाल में BJP के एक और कार्यकर्ता की हत्या से हड़कंप मच गया है। कोलकाता से सिर्फ 15 किमी दूर मध्यमग्राम में बीजेपी कार्यकर्ता अशोक सरदार का मर्डर कर दिया गया। बताया जा रहा है कि दिनदहाड़े गोली मारकर बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई।

बीजेपी ने सूबे की सत्ता पर काबिज टीएमसी पर हत्या का आरोप लगाया है। अभी हाल ही में बीजेपी ने सियासी हिंसा को लेकर चुनाव आयोग से भी सत्ताधारी टीएमसी की शिकायत की थी, बीजेपी ने ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी पर अपने 132 कार्यकर्ताओं की हत्या का आरोप लगाया था।इसी की आघार बनाते हुए उच्चतम न्यायालय में वकील पुनीत कौर ढांडा ने याचिका दायर की थी, मगर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को याचिका की सुनवाई करने से इनकार कर दिया।
इन मांगें थीं शामिल

– राज्य के विपक्षी दल के नेताओं को सुरक्षा दी जाए। बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या हो रही है। रोहिंग्या मुसलमानों के फर्जी मतदाता पत्र बनाए गए हैं। हिंदुओं को धमकाया जा रहा है।
– बंगाल में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का आयोजन कराया जाए। राज्य में हुई बीजेपी नेताओं व कार्यकर्ताओं की हत्याओं को लेकर राज्य सरकार रिपोर्ट दे।
– राज्य में अर्धसैनिक बलों की तैनाती, वोटर लिस्ट से फर्जी मतदाताओं का नाम हटाना और इसकी रिपोर्ट चुनाव आयोग द्वारा जमा कराने की मांग भी की गई थी।

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