प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती के मौके पर कोलकाता पहुंचे. पीएम मोदी कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में उनका स्वागत राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया. हालांकि इस मुलाकात में वह वह बात नजर नहीं आई जो एक राज्य के सीएम और देश के पीएम की मुलाकात के दौरान अक्सर देखी जाती है.
यहां पीएम मोदी ने नेताजी की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और विक्टोरिया मेमोरियल में उनकी जीवनयात्रा पर लगी प्रदर्शन देखी। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज हर भारतीय अपने दिल पर हाथ रखे, नेताजी सुभाष को महसूस करे, तो उसे फिर ये सवाल सुनाई देगा. उन्होंने कहा, “क्या मेरा एक काम कर सकते हो? ये काम, ये काज, ये लक्ष्य आज भारत को आत्मनिर्भर बनाने का है. देश का जन-जन, देश का हर क्षेत्र, देश का हर व्यक्ति इससे जुड़ा है. नेताजी ने कहा था कि आजाद भारत के सपने में कभी भरोसा मत खोइए. दुनिया में ऐसी कोई ताकत नहीं है जो भारत को बांधकर रख सके. वाकई दुनिया में ऐसी कोई ताकत नहीं है जो 130 करोड़ देशवसियों को अपने भारत को आत्मनिर्भर भारत बनाने से रोक सके.”
पीएम मोदी ने कहा, “हम सब का कर्तव्य है कि नेताजी के योगदान को पीढ़ी दर पीढ़ी याद किया जाए. इसलिए देश ने तय किया है कि नेताजी की 125वीं जयंती के वर्ष को ऐतिहासिक अभूतपूर्व भव्य आयोजनों के साथ मनाएंगे. देश ने ये तय किया है कि अब हर साल हम नेताजी की जयंती (23 जनवरी) को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया करेंगे.”
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के कार्यों को याद करते हुए कहा कि नेताजी ने कहा था कि भारत बुला रहा है. रक्त रक्त को आवाज़ दे रहा है. उठो हमारे पास गंवाने के लिए वक्त नहीं है. पीएम मोदी ने एलान किया कि 23 जनवरी के दिन को ‘पराक्रम दिवस’ के तौर पर मनाएंगे.
‘पराक्रम दिवस’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “नेताजी ने संकल्प था भारत की जमीन पर आजाद भारत की आजाद सरकार की नींव रखेंगे. नेताजी ने अपना ये वादा भी पूरा करके दिखाया. उन्होंने अंडमान में अपने सैनिकों के साथ आकर तिरंगा फहराया.” उन्होंने कहा कि उनके जैसे फौलादी इरादों वाले व्यक्तित्व के लिए असंभव कुछ नहीं था. उन्होंने विदेश में जाकर देश से बाहर रहने वाले भारतीयों की चेतना को झकझोरा. उन्होंने पूरे देश से हर जाति, पंथ, हर क्षेत्र के लोगों को देश का सैनिक बनाया.
वहीं, ममता बनर्जी इस कार्यक्रम में भड़क उठीं. दरअसल, ममता की स्पीच से ठीक पहले कार्यक्रम में मौजूद कुछ लोगों ने जय श्रीराम के नारे लगा दिए. नारे लगने से नाराज ममता बनर्जी ने आगे बोलने से इनकार कर दिया. ममता ने बमुश्किल एक मिनट का भाषण दिया और पोडियम से हट गईं. ममता ने यहां तक कह दिया कि अगर बेइज्जती करनी थी तो बुलाया क्यों.
ममता की इस बेरुखी की सोशल मीडिया पर भी खासा चर्चा है. इससे पहले शनिवार सुबह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में करीब 9 किलोमीटर लंबा रोडशो निकाला. इस रोडशो में भी उन्होंने बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर जुबानी हमला बोला था. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने नेताजी का जन्मदिन ‘पराक्रम दिवस’ के तौर पर घोषित कर दिया, मगर मुझसे मशविरा तक नहीं किया.
बता दें कि तृणमूल कांग्रेस पहले से आरोप लगा रही है कि बीजेपी विधानसभा चुनावों को देखते हुए नेताजी के जन्मदिन का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रही है. दरअसल नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मनाने के लिए केंद्र सरकार ने 85 सदस्यीय एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है जो साल भर के कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करेगी. इस समिति की अध्यक्षता पीएम नरेंद्र मोदी कर रहे हैं. इसके अलावा उनकी 125वीं जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जा रहा है.
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