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तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का 58वां दिन है। कड़ाके की सर्दी तथा कोरोना संकट के बीच किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच सरकार तथा किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच आज 11वें दौर की वार्ता होगी।

वहीं किसान संगठनों ने गुरुवार को कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक टालने और इसके समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति गठित करने संबंधी केंद्र सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में किसान नेताओं ने सिंघु बॉर्डर पर सरकार के प्रस्ताव को लेकर मैराथन बैठक की, जिसमें सरकार के प्रस्ताव को खारिज करने का फैसला लिया गया है।
किसान नेता दर्शन पाल ने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा की आम सभा में सरकार द्वारा रखे गए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। उन्होंने कहा, “आम सभा में तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और सभी किसानों के लिए सभी फसलों पर लाभदायक एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए एक कानून बनाने की बात मुख्य मांगों के रूप में दोहराई गई।“

वहीं बैठक के बाद किसान नेता जेगिंदर एस उग्रहान ने कहा कि ‘यह फैसला लिया गया है कि जब तक सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती, तब तक सरकार के प्रस्तावों को स्वीकार नहीं किया जाएगा। हमारी केवल एक ही मांग है कि कानूनों को वापस लिया जाए और एमएसपी को कानूनों मान्यता दी जाए। आज यही फैसला हुआ है।

आपको बता दें कि सरकार तथा किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच बुधवार को हुई 10वें दौर की वार्ता में सरकार ने किसान संगठनों के समक्ष तीन कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित रखने और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति के गठन का प्रस्ताव दिया था। इसके बाद दोनों पक्षों ने 22 जनवरी को फिर से वार्ता करना तय किया था।

इस बीच, इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति ने वार्ता शुरू कर दी और इस कड़ी में समिति आठ राज्यों के 10 किसान संगठनों से संवाद किया। सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को तीन कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी और गतिरोध को दूर करने के मकसद से चार-सदस्यीय एक समिति का गठन किया था। फिलहाल, इस समिति मे तीन ही सदस्य हैं क्योंकि भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इस समिति से अलग कर लिया था।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति ने कहा है कि गुरुवार को विभिन्न किसान संगठनों और संस्थाओं से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की गई। इसमें कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु, और उत्तर प्रदेश के 10 किसान संगठन शामिल हुए।

 

वहीं गणतंत्र दिवस पर किसानों की ओर से प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को लेकर दिल्ली पुलिस और किसान संगठनों के बीच दूसरे दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही। दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी इस मुद्दे पर आज भी किसान नेताओं के साथ बैठक करेंगे।

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