तीन नए केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 57वें दिन भी जारी रहा। इस बीच प्रदर्शनकारी किसानों ने कृषि कानूनों को डेढ़ साल के लिए टालने के सरकार के प्रस्ताव को गुरुवार को ठुकरा दिया।
संयुक्त किसान मोर्चा की गुरुवार को इस मुद्दे को लेकर लगभग छह घंटे तक चली बैठक चली, जिसके बाद किसानों ने सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और तीनों नए केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को दोहराया।
आपको बता दें कि सरकार तथा किसानों के बीच बुधवार को इस मुद्दे पर बैठक हुई थी, जिसके बाद सरकार ने किसान संगठनों को नए कृषि कानूनों को डेढ़ साल के लिए टालने का प्रस्ताव दिया था।
संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक से पहले आज पंजाब के किसान संगठनों की बैठक हुई। किसान नेताओं के अनुसार मोर्चा की बैठक के दौरान कुछ किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव पर सकारात्मक रुख अपनाने की राय व्यक्त की जबकि कुछ संगठनों ने कहा कि कृषि कानूनों को रद्द कराने का यह स्वर्णिम अवसर है और किसानों को इसका लाभ उठाना चाहिए। उनका कहना था कि बाद में इतना बड़ा आंदोलन करना संभव नहीं होगा।
नए कृषि कानूनों के मुद्दे पर किसान संगठनों और सरकार के बीच शुक्रवार को 11वें दौर की वार्ता होने वाली है। वहीं किसान संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से किसानों की समस्याओं को सुलझाने के लिए गठित समिति में भी शामिल होने से इनकार कर दिया है। इस समिति में शामिल एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान ने अपने को इससे अलग कर लिया था ।
इस समिति की आज यहां बैठक हुई, जिसमे आठ राज्यों के दस किसान संगठनों ने कृषि कानूनों को प्रभवशाली ढंग से लागू करने को लेकर अपने सुझाव दिए। किसान संगठनों ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन राजधानी के आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर परेड निकालने की घोषणा की है। इस संबंध में आज किसान संगठनों और पुलिस अधिकारियों के बीच बैठक हुई जिसमें कोई निर्णय नहीं हो सका। पुलिस गणतंत्र दिवस के कारण किसानों को आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर परेड नहीं निकालने देना चाहती है । किसानों के साथ पुलिस अधिकारियों की भी शुक्रवार को बैठक होगी ।