मोदी सरकार के तीनों कृषि कानूनों को लेकर किसान दिल्ली सीमा पर धरना दे रहे हैं. किसानों का इस आंदोलन को करीब 2 महीने पूरा होने जा रहा है और इस दौरान केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच 10 दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन अभी तक कोई सहमति नहीं बनी. आज (20 जनवरी) को 10वें दौर की वार्ता हुई लेकिन हर बार की तरह कोई नतीजा नहीं निकला. 22 जनवरी को फिर बैठक होगी. कल किसान संगठन बैठक करेंगे. इसके बाद आगे कोई फैसला लिया जाएगा.
दिल्ली के विज्ञान भवन में किसान संगठन और सरकार के बीच 10वें दौर की बातचीत हुई. सरकार ने किसानों को प्रस्ताव दिया कि एक निश्चित समय के लिए कानून पर रोक लगा दी जाए और एक कमेटी का गठन किया जाए, जिसमें सरकार और किसान दोनों हों, लेकिन किसान संगठन तुरंत इस प्रस्ताव पर राजी नहीं हुए उन्होंने कहा की पहले वे अपने संगठनों के साथ 21 जनवरी को बैठक करेंगे फिर 22 जनवरी को अगली बैठक में अपना फैसला सुनाएंगे.
बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज हमारी कोशिश थी कि कोई निर्णय हो जाए. किसान यूनियन कानून वापसी की मांग पर थी और सरकार खुले मन से कानून के प्रावधान के अनुसार विचार करने और संशोधन करने के लिए तैयार थी. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय के लिए कृषि सुधार कानूनों को स्थगित किया है. सरकार 1-1.5 साल तक भी कानून के क्रियान्वयन को स्थगित करने के लिए तैयार है. इस दौरान किसान यूनियन और सरकार बात करें और समाधान ढूंढे.
कृषि मंत्री ने कहा कि हम तीनों कानूनों पर आपके साथ बिंदुवार चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन सरकार किसी भी सूरत में तीनों कानून को वापस नहीं लेगी. कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार और किसान संगठनों के नेताओं की एक कमेटी बना देते हैं, जब तक बीच का रास्ता नहीं निकलेगा तब तक हम कानून को लागू नहीं करेंगे. सरकार ये एफिडेविट सुप्रीम कोर्ट में भी देने को तैयार हैं.