अयोध्या. अयोध्या में भव्य राममंदिर निर्माण के लिए नींव की खुदाई का काम शुरू हो चुका है। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चम्पत राय ने बताया कि नींव की डिजाइन फाइनल होने के बाद अब नींव की खुदाई काम शुरू होने में करीब सात महीने बाद सफलता मिली है। उम्मीद है कि फरवरी माह से पत्थरों को लगाये जाने का काम शुरू हो जाएगा।
अभी ऐसी व्यवस्था : मंदिर निर्माण के तहत एक ‘मेकशिफ्ट टेंपल’ बनाया गया है। गर्भगृह जहां था, वहां से मूर्ति हटा दी गई है क्योंकि उस जगह से मंदिर निर्माण शुरू होना है। यहां एक खूबसूरत पर्दा लगा दिया गया है जिस पर ‘जय श्रीराम’ लिखा हुआ है। जहां पहले रामलला की मूर्तियां रखी हुई थीं, उस जगह को मंदिर निर्माण के लिए समतल कर दिया गया है। यहां मंदिर की नींव डालने के लिए 200 फीट तक मिट्टी की जांच में पता चला है कि जमीन के नीचे भुरभुरी बालू है और मंदिर के गर्भगृह वाली जगह के पश्चिम में कुछ दूरी पर ही जमीन से नीचे सरयू का प्रवाह है।
सरयू के प्रवाह गर्भगृह की ओर : राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि ‘किसी ने कल्पना नहीं की थी कि भगवान का जहां गर्भगृह बना है, वहां जमीन खोखली है, ठोस नहीं है।’ सरयू नदी यूं तो जमीन पर नहीं बहती हुई दूसरी जगह पर नजर आती है, लेकिन उसकी धारा जमीन के नीचे वहां आ रही है जिसके पास मंदिर का गर्भगृह बना हुआ है।
कई बार परीक्षण हुआ : बता दें कि अयोध्या में भव्य राममंदिर की मजबूती को लेकर ट्रस्ट की ओर से कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं, जिसमें विभिन्न पहलुओं पर विचार किया गया है। मंदिर निर्माण की नींव के लिये कई बार परीक्षण हुआ। इसमें वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने बताया था कि जमीन के नीचे भुरभुरी बालू और पानी होने के कारण सीमेंट के पिलर्स का इस्तेमाल उचित नहीं है। ऐसे में प्राचीन पद्धति से पत्थरों का इस्तेमाल किया जाना ज्यादा उचित होगा। यह भी बताया जा रहा है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए काशी विश्वनाथ धाम के मॉडल को अपनाया जा सकता है। हालांकि अंतिम फैसला श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ही लेगा। राम मंदिर की निर्माण समिति, आर्किटेक्ट और इंजीनियर इस पर मंथन कर रहे हैं।
धन संग्रह अभियान जारी : इस बीच धन संग्रह अभियान भी 14 जनवरी से शुरू हो चुका है। 27 फरवरी तक लाखों कार्यकर्ता घर-घर जाकर धन संग्रह करने का काम कर रहे हैं। चंपत राय ने कहा कि मंदिर को मजबूत एवं दीर्घायु बनाने के लिए देश के बड़े इंजीनियर और वैज्ञानिकों की टीम कार्य कर रही है। मुंबई, गुवाहाटी एवं चेन्नई स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के विशेषज्ञ लगे हुए हैं। मंदिर 360 फुट लंबा और 235 फुट चौड़ा होगा। मंदिर के शिखर की ऊंचाई 161 फुट होगी। मंदिर दर्शन करने जाने के लिए भक्तों को 32 सीढ़ियों से करीब साढ़े सोलह फुट ऊपर चढ़ना होगा।