मिस्र में मिला अनमोल ‘खजाना’… महारानी के प्राचीन मंदिर से हजारों साल पुरानी रहस्यमय किताब भी आई दुनिया के सामने, खुलेंगे कई और राज

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काहिरा. मिस्र के पिरामिड वहां के तत्कालीन फैरो (सम्राट) गणों के लिए बनाए गए स्मारक स्थल हैं, जिनमें राजाओं के शवों को दफनाकर सुरक्षित रखा गया है। इन शवों को ममी कहा जाता है। उनके शवों के साथ खाद्यान, पेय पदार्थ, वस्त्र, गहनें, बर्तन, वाद्य यंत्र, हथियार, जानवर एवं कभी-कभी तो सेवक सेविकाओं को भी दफना दिया जाता था। यहां कुल 138 पिरामिड हैं और काहिरा के उपनगर गीज़ा में 3, दोनों को मिलाकर 141 पिरामिड यहां हैं। इनमें गिजा का ‘ग्रेट पिरामिड’ ही प्राचीन विश्व के सात अजूबों की सूची में है।

दुनिया के सात प्राचीन आश्चर्यों में शेष यही एकमात्र ऐसा स्मारक है, जिसे काल प्रवाह भी खत्म नहीं कर सका। यह पिरामिड 450 फुट ऊंचा है। प्रमाण बताते हैं कि इसका निर्माण करीब 2560 वर्ष ईसा पूर्व मिस्र के शासक खुफु के चौथे वंश द्वारा अपनी कब्र के तौर पर कराया गया था। इसे बनाने में करीब 23 साल लगे थे। अकेले सक्कारा इलाके में एक दर्जन से ज्यादा पिरामिड हैं और पशुओं के दफनाने की जगह है। इसे यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल का दर्जा दिया है। इस मंदिर की खोज राजा तेती के पिरामिड के नजदीक हुई है, जहां राजा को दफन किया गया था। सक्कारा स्थल प्राचीन मिस्र की राजधानी मेमफिस का हिस्सा है। इसी में विश्व प्रसिद्ध गीजा के पिरामिड स्थित हैं।

रहस्यमय पिरामिडों के इस देश मिस्र में एक प्राचीन मंदिर से अब महारानी का अनमोल खजाना मिला है। पुरातत्वविदों का मानना है कि यह मंदिर रानी नेइत का है जो 2323 ईसापूर्व से 2150 ईसापूर्व तक शासन करने वाले राजा तेती की पत्नी थीं।

इस मंदिर की खोज करने वाले मिस्र के पूर्व मंत्री और चर्चित पुरातत्वविद जही हवास ने बताया कि सक्कारा मिस्र की प्राचीन काल की राजधानी मेम्फिस का एक विशालकाय कब्रिस्तान है। यह खोज सक्कारा का इतिहास बदल कर रख देगी, खासकर न्यू किंगडम का इतिहास जो 3 हजार साल पुराना शुरू हुआ था। हवास की टीम ने यहां से 22 विशेष प्रकार की शैफ्ट भी पाई हैं, इसमें एक के साथ एक सिपाही भी है। उसके साथ अन्य हथियार भी हैं। एक पत्थर का भी ताबूत पाया गया। इसके साथ मास्क, लकड़ी की नाव, प्राचीन खेलों से जुड़ी वस्तुएं भी शामिल है। हवास का कहना है कि यह एक दुर्लभ और नई खोज है, पहले सकारा में मिलीं न्यू किंगडम की वस्तुएं 500 ईसापूर्व की ही मानी जाती थीं, लेकिन अब यह धारणा बदल गई है।

यहां 52 लकड़ी के बने ताबूत भी मिले हैं। ये सभी न्यू किंगडम काल के हैं और 40 फुट की गहराई में मिले हैं। इसके अलावा इस स्थान से 13 फुट लंबा भोजपत्र मिला है, जिसमें बुक ऑफ डेड की बातें लिखी हुई हैं। प्राचीन मिस्र में इस किताब के जरिए मृतकों को दूसरी दुनिया (अंडरवर्ल्ड) में भेजा जाता था।
दरअसल, पुराने मिस्री शासकों (फराहो) का विश्वास था कि आने वाले दिनों में कभी यह भी मुमकिन होगा कि दफनाये गये लोगों को जिंदगी बख्शी जा सकेगी। अपने इसी विश्वास के कारण तत्कालीन मिस्री शासकों ने आज से तकरीबन 4,000 साल पहले त्रिकोणाकार मकबरे (पिरामिड) बनवाये और उसमें उन शासकों की शव-पेटियां (ममी) रखी जाने लगीं। भरोसेमंद वैद्यों और कीमियागरों की मदद से शवों पर तरह-तरह के लेप, रसायन लगाये जाते और ताबूतों में बंद करके उन्हें पिरामिडों में रख दिया जाता। चलन तो यहां तक था कि शासक की रोजमर्रा की हर जरूरत की चीज मसलन, रत्न, आभूषण, खाने-पीने की चीजें भी रख दी जातीं। और तो और, कभी-कभी मत शासक की रानियां, प्रेमिकाएं, दास-दासियां, विश्वासपात्र नौकर-चाकर, पालतू पशु-पक्षी भी उसी शव के साथ जिंदा दफन कर दिये जाते। इस उम्मीद के साथ इन्हें दफनाया जाता कि मृत शासक के जीवित हो उठने पर उसके हुक्मरान आदि उसका साथ निभा सकें।

हैरत की बात यह है कि हजारों साल से सोयीं हुई ये आत्माएं अपने-आप में रहस्य का पिटारा हैं। पिरामिडों से प्राप्त हर चीज और ये शव ऐसी हालत में पाये गये हैं, मानो इन्हें कल ही दफन किया गया हो। रसायनों का तिलस्म उन्हें आज भी तरोताजा बनाये हुए है। आने वाली दुनिया के लिए ये पिरामिड और सुरक्षित ‘ममियां’ एक अजूबा थीं। अपनी जिज्ञासा के लिए जब कभी किसी ने इनकी खामोश दुनिया में दखल देने की जुर्रत की तो उसे मौत का ग्रास बनना पड़ा। हजारों साल से सो रही ये मत आत्माएं आज भी हमारे लिए चुनौती हैं, रहस्यों के आवरण में लिपटी हई दंत-कथाओं की तरह।

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