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बंगाल में आर-पार…ममता ने सुवेंदु अधिकारी को ललकारा, नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का किया ऐलान

कोलकाता. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की राजनीतिक लड़ाई अब चरम पर है। तृणमूल कांग्रेस की ओर से पूरा मोर्चा अकेले बंगाल की शेरनी ममता बनर्जी ने संभाल रखा है। हालांकि उन्हें दो मोर्चे पर एक साथ लड़ना पड़ा रहा है। एक तरफ पूरी ताकत के साथ भाजपा मैदान में कूद पड़ी है, तो दूसरी तरफ साथ छोड़ रहे ममता दीदी के ‘अपनों’ का कुनबा उन्हें घेरता जा रहा है।

तृणमूल कांग्रेस छोड़ने वाले सुवेंदु अधिकारी भाजपा में शामिल होने के बाद ममता को ललकार चुके हैं। पश्चिम बंगाल के सिंचाई और परिवहन मंत्री रहे सुवेंदु अधिकारी ने नवंबर में ममता बनर्जी के कैबिनेट से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। सुवेंदु का जाना ममता बनर्जी के लिए तगड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि जमीनी स्तर पर उनकी पकड़ खासी मजबूत है। अधिकारी ने 2007 के गैर-जमीन अधिग्रहण प्रदर्शनों (जिनकी वजह से 2011 में लेफ्ट की सरकार गिरी थी), वामपंथ के गढ़ जगमहल इलाके पर कब्जे, और मालदा और मुर्शिदाबाद में तृणमूल कांग्रेस की मौजूदगी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनकी ललकार लेकिन ममता को रास नहीं आई। इसलिए पलटवार करते हुए उन्होंने नंदीग्राम से विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। ममता ने सोमवार को नंदीग्राम में रैली के दौरान यह ऐलान किया। ममता ने हुंकार भरते हुए कहा, ‘मैं नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ूंगी। संभव हुआ तो भवानीपुर और नंदीग्राम दोनों जगह से चुनाव लड़ूंगी।’

दूसरी तरफ, सुवेंदु अधिकारी के गढ़ नंदीग्राम में रैली करते हुए ममता बनर्जी ने भी जमकर हमला बोला। दोनों एक दूसरे के गढ़ में चुनाव प्रचार कर रहे हैं। कहा जाता है कि नंदीग्राम आंदोलन की पटकथा सुवेंदु अधिकारी ने ही तैयार की थी। इतना ही नहीं उन्होंने भूमि उच्छेद प्रतिरोध कमिटी का नेतृत्व करते हुए 2007 में भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन की भी अगुआई की थी। इस आंदोलन के चलते बंगाल में लेफ्ट का 34 साल पुरानी सरकार गिर गई थी।

बता दें कि सुवेंदु अधिकारी वर्तमान में नंदीग्राम से विधायक हैं और नंदीग्राम शुभेंदु अधिकारी का गढ़ माना जाता है। नंदीग्राम से चुनाव लड़ने के तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी के इस ऐलान के बाद कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। यहां आपको बता दें कि तृणमूल के नेता नेता ममता को ‘मां’कहते हैं, इस पर सीधा कटाक्ष रते हुए सुवेंदु ने भाजपा में शामिल होने के दौरान कहा था कि अगर किसी को मां कहना होगा तो मैं अपनी मां को या भारत माता को मां कहूंगा, किसी और को नहीं कहूंगा।

राजनीति के जानकार मानते हैं कि ममता बनर्जी की स्थिति इस बार खिसियानी बिल्ली जैसी हो गई है, जो खंभा नोंचने का प्रयास करती है। अपनों का साथ छोड़ने से ममता बनर्जी आगबबूला हो उठीं हैं। उन्हें भी अच्छी तरह मालूम है कि हाल में टीएमसी से भाजपा में शामिल होने वाले उनके नेता कैडर जमीन से जुड़े थे। उनकी पकड़ काफी मजबूत है। इसलिए उनको गढ़ों में दरार आने से इनकार नहीं किया जा सकता।

Delhi Desk

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