पटना. बिहार में अपराध ‘सुशासन बाबू’ को शर्मिंदा कर रहा है। रूपेश हत्याकांड में पुलिस के हाथ अभी तक खाली है। बीती 12 जनवरी को ही अज्ञात अपराधियों ने पटना में इंडिगो के स्टेशन हेड रूपेश कुमार सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी थी। बदमाशों ने उन पर करीब 15 राउंड फायरिंग की थी, जिसमें करीब 6 गोलियां उनको लगी। अब बेखौफ अपराधियों ने पटना में रविवार को जेडीयू छात्र नेता आलोक तेजस्वी को गोली मार दी। उन्हें गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया है। आलोक तेजस्वी पटना जिला ग्रामीण के युवा इकाई के अध्यक्ष हैं।
यह सनसनीखेज मामला बख्तियारपुर इलाके के केवल बिगहा गांव का है। बताया जा रहा कि जेडीयू नेता आलोक तेजस्वी को अपराधियों ने अचानक हमला किया और गोली मारकर फरार हो गए। पुलिस टीम तुरंत ही मामले की जांच में जुट गई है, लेकिन राजधानी में लगातार हो रही वारदातों से लॉ एंड ऑर्डर पर सवाल जरूर खड़े हो रहे हैं।
बिहार में बढ़ते अपराध से बिगड़ते हालत के सबूत इतने खुले रूप में सामने आ रहे हैं कि राज्य सरकार अब उन्हें अपने किसी गढ़े हुए आंकड़ों के ज़रिये भी नकार नहीं सकती। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब सार्वजनिक भाषणों में अपना ये पसंदीदा जुमला दुहराने से बचते हैं कि ” राज्य में अमन-चैन और क़ानून का राज क़ायम है’, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि यहां सबसे जघन्य अपराध यानी हत्या, अपहरण और बलात्कार की घटनाएं ज़्यादा हो रही हैं। ख़ासकर हत्याओं का सिलसिला काफ़ी तेज़ हो गया है।
सवाल उठना स्वाभाविक है कि मौजूदा मुख्यमंत्री के ‘अमन-चैन ‘ वाले बहुप्रचारित दावे की विश्वसनीयता क्या है? अलबत्ता यह बात और है कि वहां का पुलिस महकमा इसे गंभीर नहीं मानता। पुलिस महानिदेशक तक बड़े मधुर शब्दों में कहते हैं कि आंकड़ों पर बहुत भरोसा मत कीजिए! हिंसक श्रेणी के अपराध पहले से बढे नहीं है, बल्कि कुछ कम ही हुए हैं।मतलब साफ़ है कि पहले जंगल राज था, अब मंगल राज है, वाली राजनीतिक चालाकी बहुत दिनों तक बेरोकटोक चल नहीं पाती है। इसलिए रोकटोक शुरू हो जाने से यहां सत्ता-सुख भोग रहे चेहरे तमतमा उठे हैं।
राज्य में अन्य जगहों की कौन कहे, राजधानी पटना में भी आपराधिक घटनाओं का ग्राफ लगातार ऊपर चढ़ता जा रहा है और कार्रवाई के नाम पर सिर्फ पुलिस कर्मियों के तबादले पर तबादले हो रहे है। अब सत्ता पक्ष की तरफ़ से पहले की तरह बार-बार ये बयान भी नहीं आता कि पटना में महिलाएं भी बिना डर-भय के देर रात तक घूमती हैं। सिर्फ यही नहीं, ‘सुशासन’ के कई और दावे दरकने लगे हैं। ख़ुद पुलिस महकमा इस तथ्य को छिपा नहीं पा रहा है कि नीतीश राज में अपहरण के बाद हत्या की घटनाओं में चौंकाने वाली वृद्धि हुई। ख़ासकर बच्चे और किशोर इसके अधिक शिकार हुए। फ़र्क़ यही है कि लालू-राबड़ी शासन के समय फिरौती के लिए अपहरण की घटनाएं ज़्यादा होती थीं, नीतीश कुमार के शासन में अपहरण करके क़त्ल कर देने का जघन्य अपराध अधिक हुआ और हो रहा है।
अपराध के इन ‘सरकारी सबूतों’ को देखने से यही लगता है कि नीतीश राज में अपराधियों की गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए प्रहार कम और प्रचार अधिक हुआ है। स्पीडी ट्रायल के ज़रिये बड़ी तादाद में अपराधियों को सज़ा दिलाने जैसी सरकारी वाहवाही की भी हवा निकल चुकी है। पुलिस की लचर तफ्तीश और या ठोस साक्ष्य के अभाव में अपराधी ऊंची अदालत में अपील के बाद छूट जाता है। साफ़ बात ये है कि बिहार में पेशेवर अपराधी का ही नहीं, आपराधिक राजनीति का भी आतंक है और इसी का बलि एक और नेता चढ़ा है।
—
दिल्ली: केंद्र सरकार ने पूर्व गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को मणिपुर का राज्यपाल बनाया है। इसके साथ पूर्व सेना…
संवाददाताः संतोष कुमार दुबे दिल्लीः बीजेपी के दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने मंंगलवार को दिल्ली में पीने की…
संवाददाताः संतोष कुमार दुबे दिल्लीः बीजेपी के वरिष्ठ नेता एवं दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कांग्रेस…
संवाददाताः संतोष कुमार दुबे दिल्लीः बीजेपी के दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर तीखा प्रहार…
संवाददाताः संतोष कुमार दिल्लीः बीजेपी नेता एवं नई दिल्ली से सांसद बांसुरी मंगलवार को आम आदमी पार्टी पर दिल्लीवासियों से…
कोलकाताः पश्चिम बंगाल में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर केस में सेंट्रल फोरेंसिक…